पापा के पाँव में चोट लगी थी.. कुछ दिनों से वे वैसे ही लंगडाकर चल रहे थे.. मैं भी छोटा था और तय समय पर, काफी कोशिशों के बाद भी, हमारे घर के *गणेश विसर्जन* के लिए किसी गाड़ी की व्यवस्था भी न हो सकी.. पापा ने अचानक ही पहली मंजिल पर रहने वाले जावेद भाई को आवाज लगा दी.. *