धर्म को मानव की आत्मा, आध्यात्मिक अवस्थाओं का परीक्षक, निरीक्षक, विद्या और संस्कृति का वाहक माना जाता है, जो जीवन को चलाने वाले श्रेष्ठ सिद्धांतों का समूह है। आधुनिक विचारकों का मत है कि जहाँ विज्ञान
एकतामें बड़ी शक्ति होती हैं । वह परिवार, समाज, देशबहुत ज्यादा तरक्की करता हैं जहाँ एकता होती हैं. एकता हमें एक दूसरे का मान-सम्मानकरना सिखाती हैं । एकता हमें बुराइयों के खिलाफ़ लड़ने की ताकत देती हैं । एकता हीमानव जाति की पहचान हैं ।‘कौमी एकता’ मुख्यतः राष्ट्रीय एकता की
*आदिकाल में जब मनुष्य इस धरा धाम पर आया तो ईश्वर की दया एवं सनातन धर्म की छाया में उसने आचरण को महत्व देते हुए अपने जीवन को दिव्य बनाने का प्रयास किया | हमारे पूर्वजों एवं महापुरुषों ने मनुष्य के आचरण को ही महत्व दिया था क्योंकि जब मनुष्य आचरण युक्त होता है , जब उसके भीतर सदाचरण होते हैं तो उसमें स
अभी कल की ही बात है, मैं गाड़ी पार्क करके निकला ही था बाहर कि एक महिला तुरंत मेरे पास आयी और अंग्रेजी में कुछ फुसफुसाई। मैं सकपका गया, शुरू के 5 -7 क्षण तो मैं समझ ही नहीं पाया कि इन्हे समस्या क्या है। फिर पता चला कि वो यहाँ मुझसे पहले गाड़ी खड़ी करने वाली थी और मैंने उसकी जगह अपनी गाड़ी लगा दी। अंग्रेज
दीनी सियासत का तोड़ क्या है ? श्रीलंका में ताजा बम धमाके डॉ शोभा भारद्वाज दीनी आधार पर की जाने वाली राजनीति की काट दिखाई नहीं देती है ? हर तर्क पर मौलाना अपनेसमाज से प्रश्न करते हैं क्या तुम इस्लाम के दुश्मन हो , दीन के विरुद्ध हो ? याधमकियाँ श्री लंका में ईस्टर के दिन चर्च में इबादत करने आये क्रिश
मैं कट्टर नहीं हूं स्वयं को भारतीय कहना, मानव कहना कट्टरता नहीं है; अपनी जड़ों से जुड़े रहना; जो समूचे विश्व को एक माने, एक कुटम्ब माने, ऐसी जड़ों से जुड़े रहना कट्टरता नहीं है।
गुरबाणी कहती है “विच दुनिया सेव कमाईए ता दरगह बैसन पाईए”इन्हीं पंक्तियों पर चलते हुए सरदार हरजीत सिंह जी और उनके साथी पिछले कई वर्षों से दिल्ली के अलग अलग अस्पतालों में फ्री लंगर सेवा का कार्य कर रहे हैं मरीजों को दवा तो इन अस्पतालों से मिल जाती है पर रोटी नहीं कहते हैं भुखे पेट दवा भी काम नहीं करती
*इस संपूर्ण सृष्टि में यदि मनुष्य सर्वश्रेष्ठ बनकर उभरा है तो मनुष्य को गलतियों का पुतला भी कहा गया है | भूल हो जाना मनुष्य का स्वभाव है | कोई भी ऐसा मनुष्य ना हुआ होगा जिससे कि अपने जीवन में कभी कोई भूल ना हुई है | कभी - कभी मनुष्य की एक भूल उसके जीवन की दिशा और दशा परिवर्तित कर देती है | प्राचीन क
पापा के पाँव में चोट लगी थी.. कुछ दिनों से वे वैसे ही लंगडाकर चल रहे थे.. मैं भी छोटा था और तय समय पर, काफी कोशिशों के बाद भी, हमारे घर के *गणेश विसर्जन* के लिए किसी गाड़ी की व्यवस्था भी न हो सकी.. पापा ने अचानक ही पहली मंजिल पर रहने वाले जावेद भाई को आवाज लगा दी.. *
मानवता ही नैतिकता का आधार है । सभी नैतिक मूल्य सत्य अहिंसाप्रेम सेवा शांति करुणा इत्यादि गुणों का मूल “मानवता” ही है । ‘मानवता’ हीनैतिकता का आधार है, जैसे कोई निर्धन, असहाय, बीमार व्यक्ति भूखा है; वहां दया सेपूरित होकर कोई सेवा करता है, भूखे को भोजन कराता है; तो
(1) एक इलेक्ट्रिशियन : जो ऐसे दो व्यक्तियों के बीचकनेक्शन कर सके, जिनकी आपस में बातचीत बन्द हो ।(2) एक ऑप्टिशियन : जो लोगों की दृष्टि के साथदृष्टिकोण में भी सुधार कर सके ।(3) एक चित्रकार : जो हर व्यक्ति के चेहरे परमुस्कान की रेखा खींच स
रावण का पश्चाताप : हे प्रभु राम, आजके समय में भी स्त्री के अपहरण का दंड आपके भारतवर्ष में दस वर्षों से अधिक काकारावास नहीं है । मुझे अपने अपराध का कितना और कब तक दंड देते रहेंगे... आपकेभारतवासी !!! यह सत्य है कि मेरी बहन शूर्पणखा के अ
जी! किसी नन्ही-मुन्नी कली(आयु केवल दो वर्ष) के पिता युद्ध में खेत रहे! उसे कहा गया कि युद्ध पाकिस्तान से था . गुड़िया ज्यों-ज्यों बड़ी होती गई , उसके मन में यह बात बैठती गयी कि पाकिस्तानी उसके पिता के क़ातिल हैं. छह साल तक अपने पिता की बांहों के लिए तरसती रही इस मुलमुली