रोशनी नृत्य कॉलेज के कुछ बच्चों के साथ घुमने के लिए इक गांव में जाती है सारे बच्चे बड़े उत्सुकता से ग्रामीण क्षेत्रों को देख रहे थे क्योंकि नृत्य कॉलेज शहर में स्थित था तो ज्यादातर बच्चे शहर के ही थे उनमे कुछ बच्चे गांव के भी थे उन बच्चों के लिए गांव का माहौल बहुत ही रुचिकर था वह बहुत खुश थे जगह-जगह घूम रहे थे खेत खलियानों में लहलहाती फसल देख रहे थे वहां के फूल बाग बगीचे सभी की रौनक उनकी मन को छू रही थी भी बच्ची रोशनी से आग्रह करते हैं कि हम लोग कुछ दिन यहीं ठहर जाते हैं इसी गांव में रोशनी उन लोगों की बातें मानकर कुछ दिन वही ठहरने की फैसला करती है आप रोशनी उन बच्चों को गांव के हर कोने-कोने में ले जाकर घूमती है और एक-एक चीज से उनका परिचय कराती है घूमती घूमती वह गांव की एक घर में जाती है वहां दिव्या नाम की एक लड़की जो महज 11 साल की थी बहुत समझदार थी और हर एक बात में सवाल करती थी बहुत जिज्ञासु थी हर पल कुछ ना कुछ नया जानना चाहती थी अपनी माता-पिता भाई और दादी के साथ रहती थी उसे बहुत शौक था सर जाकर पढ़ना और मशहूर डांसर बनना लेकिन जब वह अपने पिता से अपनी यह चाहत बताइए तो उसके पिता उसे पर गुस्सा हो गए और उसकी मां को भी बहुत डांटे उसे गांव के लोगों का मानना था लड़कियों का कम पढ़ना लिखना नहीं है उनका काम डांसर बनना नहीं है बल्कि उनका काम घर का चूल्हा चौका करना है और बच्चे संभालने मात्र जैसा ही है
उसे गांव की कोई भी औरत जो अपने हक के लिए आवाज उठाती थी उन्हें या तो कैद कर लिया जाता था या गांव से निकाल दिया जाता था इसलिए किसी औरत ने अपने हक के लिए आवाज उठाने के लिए आगे नहीं आती थी क्योंकि वे लोग मान चुकी थी हमारी दशा जैसा है वैसा ही रहेगा लड़ना शायद मुर्खतापूर्ण होगा इसके पहले तो बहुत लोग कोशिश किए क्या हुआ
शाम होने वाली होती है तो ठहरने के लिए कोई आश्रय चाहिए रोशनी सोचती है गांव में ही कुछ दिन के लिए कोई किराए का कमरा ले लेते हैं वह कमरा लेने के लिए दिव्या के घर जाती है दिव्या के पिताजी से किराए पर वह कमरा लेती है और वह वही रहती है और वहां की लोगों से काफी घुल मिल चुकी है लेकिन वहां की महिलाओं की दशा दी उसके मन को बहुत दुख होता था लेकिन चुप रहती थी कुछ नहीं बोलती थी एक दिन दिव्या रोशनी से कहती है दीदी मैं भी डांस सीखना चाहती हूं मैं शहर की मशहूर डांसर करना चाहती हूं बचपन से ही मुझे डांस करने का शौक है और तो और मैं शहर जाकर पढ़ना चाहती हूं लेकिन मेरे पिताजी का मानना है लड़कियां शहर नहीं जा सकती और वह डांस नहीं कर सकती और ना ही पढ़ सकती हैं उनका काम तो सिर्फ चूल्हा चौका करना है दीदी क्या आप मुझे डांस दिखाएंगे मेरे पापा को डांस का महत्व बताएंगे दिव्या की यह बात रोशनी को चुप छोड़ देती है मौका निकाल के रोशनी दिव्या की माता जी से बात करती है वह कहती आप लोग इतनी जुर्म क्यों सहते हैं आप लोगों को अपने हक के लिए लड़ना चाहिए क्या आपका मन नहीं करता कि आपकी बेटी पढ़ी-लिखी वह अपनी मर्जी से जीए उसने जो सपना देखा है उसे पूरा करने का आप लोगों का हक नहीं बनता आखिर कब तक आप लोग यह सब कुछ सहते रहेंगे आप लोगों के साथ जो कुछ हो रहा है क्या इसमें आप लोगों की मर्जी है दिव्या की मां रोशनी से कहती है आप कुछ दिनों के लिए यहां आई हैं यह गांव देखने के वास्ते यह गांव देखिए और आनंद लीजिए आप हम लोगों के मामलों में ना पड़े हम लोगों की जो स्थिति है वह कभी बदलने वाली नहीं है इसके पहले भी कुछ लोगों ने बहुत कोशिश की लेकिन कुछ नहीं हुआ हम लोग कुछ नहीं कर सकते जो है इसी में हमें खुश रहना ही होगा वैसे ठीक ही तो है हम औरतों का काम सिर्फ चूल्हा चौका ही तो इस गांव की कोई भी औरत इससे ज्यादा कुछ नहीं करती और कोई भी लड़की नहीं पड़ती शहर जाकर पढ़ने की बात तो बहुत दूर की है यह हमारे हैसियत से बहुत ऊपर की बात है रोशनी हिम्मत जुटा कर दिव्या के पिताजी से दिव्या के लिए बात करती है दिव्या के पिताजी आगबबूला हो गए वह कहते हैं तुम होती कौन हो हमारी लड़की के बारे में सोचने वाली क्या हम अपनी बेटी के दुश्मन है हम उसका अच्छा भला नहीं सोच पाते हैं हमारी परंपरा को तुम तोड़ने की सोच रही हो हमारे गांव की औरतों को तुम भड़का रही हो और तो और इस गांव की लड़कियों को तुम शहर भिजवा कर पढ़ने की बात कर रही हूं हम लोग लिहाजा करके तुम्हें यहां रहने के लिए किराए का कमरा दिए लगा कि तुम हमारे मेहमान हो लेकिन तुम तो इस गांव की एक सदस्य पर सदस्यों को मामले में हस्तक्षेप करने लगी तुम अपने हद और औकात दोनों से बहुत आगे बढ़ रही हो हमारे गुस्से की सीमा क्रॉस हो उससे पहले तुम यहां से चली जाओ नहीं तो तुम इस गांव की सारी औरतों को बर्बाद कर दोगे अपना बुरिया बिस्तर उठाओ सारे बच्चों को लो और यहां से अभी के अभी चली जाओ रोशनी कहती है देखिए भाई साहब आप ठंडे दिमाग से सोचिए फिर जो कहेंगे उस पर हम सोचेंगे इस गांव की औरते जागरूक होगी लड़कियां शहर जाकर पड़ेगी गांव का विकास होगा जरा सोचिए कितना अच्छा होगा अगर ऐसा होता है तो आप लोगों का नाम सम्मान बढ़ेगा अगर दिव्या सहर के पढ़ना चाहती है तो उसे पढ़ने दीजिए इसमें हर्ज किस बात की है दिव्या के पिताजी को इस बात से और गुस्सा आता है और वह गांव के लोगों को भी बुला लेते हैं गांव के लोग आते हैं रोशनी पर खूब चिल्लाते हैं और कहते हैं तुम यहां से अभी के अभी चली जाओ कुछ छात्र भी वहां आते हैं पूछते हैं रोशनी दीदी आप पर इस तरह क्यों चिल्ला रहे हैं रोशनी कहती है आप लोग अभी शांत रहिए हम लोग कल सुबह यहां से चला जाएगा अगली सुबह रोशनी वहां से जाने का फैसला करती है लेकिन नृत्य कॉलेज की बच्चे वहां से नहीं जाना चाहते हैं वह अभी भी गांव देखना चाहते हैं और वह बार-बार आग्रह करते हैं दीदी कुछ दिन और रुक जाते हैं ना लेकिन रोशनी कहती है नहीं कल हम लोग को यहां से जाना चाहिए और हमें जाना ही होगा
क्रमश