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रोशनी इक बहादुर लड़की ।भाग 18।

5 सितम्बर 2023

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अब दिव्या अपने गांव से बहुत दूर शहर आ चुकी है रोशनी के साथ रोशनी की नृत्य कॉलेज में उसका दाखिला हो जाता है वह पूरी दिलो जान से नृत्य सीखने लगती है रोशनी उसका बहुत ख्याल रखती है वह भी रोशनी से बहुत प्यार करती है यहां की सारी बच्ची उसके दोस्त हो जाते हैं वह उनके साथ खूब मजे करती है खुब खेलती है लेकिन फिर भी उसे अपने घर वालों की अपने गांव की याद आती है जब उसे अपने घर वालों की याद आती है तो वह रोशनी से कहती है रोशनी दीदी मुझे अपने गांव की बहुत याद आ रही है मैं एक बार अपने गांव में जाकर मिलना चाहती हूं अपनी मां को देखना चाहती हूं उसे ढेर सारी बातें करना चाहती हूं क्या मैं कुछ दिन के लिए अपने गांव जा सकती हूं रोशनी कहती है हां तुझे मैं तेरे गांव ले चलूंगी वहां चलकर तू अपनी मां से मिल लेना उनसे ढेर सारी बातें कर लेना फिर हम लोग वहां से वापस आएंगे दिव्या खुश हो जाती है दिव्या रोशनी के साथ अपने गांव जाती है अपनी मां से मिलती है उनसे बात ही करती है फिर वह रोशनी के साथ नृत्य कॉलेज के लिए चली आती है धीरे-धीरे वह नृतय कुशल में दक्षता प्राप्त कर लेती है एक बार एक डांस कंपटीशन होता है जिसमें दिव्या भी पार्टिसिपेट करती है और इस पार्टिसिपेशन में दिव्या की जीत होती है दिव्या फर्स्ट रैंक हासिल करती है यह फर्स्ट रैंक प्राप्त कर दिव्या के चेहरे पर खुशियों की रौनक आ जाती है और यह इसका पूरा-पूरा श्रेय रोशनी को देती है खुशी से दिव्या की आंखों में आंसू आ जाते हैं वह कहती है रोशनी दीदी अगर आप नहीं होती तो मेरा यह सपना कभी पूरा नहीं होता आपके होने से मैं एक अच्छी डांसर बन पाई इसके लिए मैं हमेशा आपकी ऋडी रहूंगी आप वाकई एक महान नारी है यह कहते हूए  वह रोशनी के गले से लिपट जाती है और कहती है रोशनी दीदी एक वादा करिए आप हमेशा हमारे साथ रहेंगे हमसे दूर कभी नहीं जाएंगे रोशनी मुस्कुराते हुए उसके सर पर हाथ फेरती है 
रोशनी गांव के बच्चों के लिए एक बड़ा कॉलेज खोलती जिसमें गांव की सभी बच्चे निशुल्क पढ़ाई करते हैं
गांव की इस कॉलेज का देखरेख सरपंच जी मंजरी और दिव्या करते हैं सारी बच्चे बहुत खुश होते हैं अब सबको शिक्षा मिलती है सबको सबका अधिकार मिल जाता है इस प्रकार से वह गांव एक प्रसन्न गांव बन जाता है
 यहां अब लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं एक दूजे के दुख सुख में बराबर हिस्सेदारी करते हैं और कोई प्रॉब्लम किसी को आए तो सब लोग मिल बांट  कर उस समस्या का समाधान करते हैं इस तरह से हर किसी के दिल में दूसरे के लिए मोहब्बत की भावना भर जाती है 
जलन की कोई जगह ही नहीं बचती लड़के लड़कियां औरत आदमी सब का बराबर का दर्जा होता है और इस गांव में कभी-कभी मेहमान के तौर पर रोशनी प्रमोद माधुरी चाची आती रहती हैं इस गांव को देखने के वास्ते कभी-कभी कल्पना भी आ जाती है रोशनी को देखकर गांव वालों को बहुत खुशी होती है रोशनी का इस गाव से गहरा लगाव  हो गया था 
यह गांव बहुत प्यारा लगने लगा था और इस गांव के लोग   बहुत ,प्यारे थे
मंजरी इस गांव में एक सड़क का निर्माण करवाती है जिसका नाम रोशनी मार्ग रखती है
 हर साल की भांति रोशनी इस साल भी सुबह उठकर सारे काम  कर कर मेहमानों की लिस्ट बनाती है मेहमानों की लिस्ट बनते देखा प्रमोद रोशनी से पूछते हैं रोशनी आप मेहमानों की लिस्ट क्यों बना रही हैं रोशनी कहती है क्या आप भूल गए आज 3 जुलाई है आज हमारी परी का बर्थडे है परी हमारी पूरी 10 साल की हो चुकी इसलिए उसके बर्थडे पर उसकी बर्थडे को सेलिब्रेट करने के लिए हम मेहमानों की लिस्ट बना रहे हैं आखिर हमारे परी का बर्थडे है मेहमान तो आएंगे प्रमोद  रोशनी को समझाते हैं ऐसा क्यों करती हो रोशनी हमारी बेटी कहीं खो चुकी है उसकी मिलने की अब कोई उम्मीद नहीं है फिर भी आप हर साल ऐसा करती हैं और हर साल मेहमान आते हैं हमारे ही दावत में हमारा ही मजाक बना कर चले जाते हैं क्या यह आपको अच्छा लगता है क्यों इस बार भी आप अपना मजाक बनवाना चाहती हैं रहने देते हैं ना जिस दिन हमारी परी वापस आ जाएगी जिस दिन हमारी परी हमें मिल जाएगी उस दिन हम लोग उसका बर्थडे सेलिब्रेट करेंगे पर आज नहीं पर रोशनी के बार-बार जिद करती है वह कहती है हमें पूरा भरोसा है हमारी बेटी जहां है जैसी है वह बिल्कुल ठीक है और वह एक दिन वापस जरूर आएगी वह हमें जरूर मिलेगी हमारा दिल कहता है प्रमोद कहते हैं ठीक है चलो परी का बर्थडे मनाया जाएगा रोशनी सारे मेहमानों के घर निमंत्रण पहुंचवा देती है अपनी मायके भी निमंत्रण भिजवा देता है कल्पना को और सारे बच्चों को भी निमंत्रण दे देती है शाम के समय रोशनी के घर पर सारी बच्ची सहित कल्पना और मेहमान आते हैं आलीशान दावत होती है सब दावत खत्म होने पर सभी अपने-अपने घर जाते हैं 
तो दिव्या पूछती है रोशनी दीदी आप जिसका बर्थडे मनाए है वह है कहां वह तो दिख ही नहीं वह कौन है कैसी दिखती है कितनी बड़ी है
रोशनी दिव्या से बताती है वह हमारी बेटी है जिसका नाम परी है 5 साल पहले जब वह 5 साल की थी वह मेला घूमने की जिद कर रही थी हम लोग उसे मिला घूमने ले गए उसे मेले में वह कहीं खो गई तब से लेकर आज तक वह हमें नहीं मिली हमने उसे बहुत ढूंढा पर नहीं मिली लेकिन हमें विश्वास से वह जरूर मिलेगी उसका नाम परी है बिल्कुल परियों की तरह दिखती है और वह 10 साल की हो चुकी है पर कहां है पता नहीं यह कहती हुई रोशनी की आंखों में आंसू आ जाते हैं रोशनी की आंसू पोंछे हुए दिव्या कहती है रोशनी दीदी आप चिंता ना करें आपकी परी आपको जरूर मिलेगी अच्छी लोगों के साथ भगवान कभी बुरा नहीं करते मा हमेशा कहती है फिर आप तो बहुत अच्छी हैं आपके साथ भगवान भला बुरा कैसे कर सकते हैं देखना आपकी परी आपको बहुत जल्द मिल जाएगी 
रोशनी कहती है भगवान आपकी दुआएं कबुल कर ले बेटा   मुझे मेरी खुशी मिल जाएगी मुझे मेरी परी मिल जाएगी जिसकी तलाश में पिछले 5 सालों से कर रही है मेरी परी पता नहीं की हालत में होगी कहां होगी मुझे बहुत चिंता होती है उसकी दावत खत्म होने के बाद दिव्या भी अपनी मां मंजरी के साथ अपने घर वापस चली आती है लेकिन उसे रात को नींद नहीं आती है वह बार-बार भगवान से कह रही होती है हे भगवान जी प्लीज रोशनी दीदी को उनकी बेटी परी से मिला दीजिए जब उसे नींद नहीं आती है तो वह उठकर रात में ही दौड़ती हुई गांव की एक मंदिर जो भोलेनाथ की मंदिर होती है भोलेनाथ की मंदिर में जाकर प्रार्थना करने लगती है और अपने प्रार्थना में कहती है हे भगवान जी आप चाहे तो मेरी हिस्से की थोड़ी खुशी आप अपने पास रख ले पर रोशनी दीदी को उनकी बेटी परी से मिला दिजिए  वह जोर-जोर से घंटी बजाती है प्रार्थना करतें करते  सुबह हो जाती है लेकिन तब तक वह उस मंदिर में बैठ प्रार्थना करती रहती है जब यह बात मंजरी को पता चलती है वह भागती हुई मंदिर जाती है और देखते हैं की दिव्या के हाथों से ढेर सारी खून बह रहे हैं फिर भी वह घंटी बजा रही है वह पूछती है दिव्या यह तुम क्या कर रही है और तू रात को ही क्यों मंदिर चली आई तेरे हाथों से इतनी खून बह रहे हैं क्या तुझे दर्द नहीं हो रहे हैं ऐसा कहते हुए मंजरी दिव्या के हाथ को अपने हाथ में लेती है और उसके हाथ में मलहम लगाकर पट्टी बाधती है और अपने साथ उसे घर ले आती है फिर पूछती है तू रात को मंदिर क्यों गई थी दिव्या
 दिव्या मंजरी को सारी बातें बताती है फिर मंजरी भी भगवान से दुआएं मांगती है और दिव्या से कहती है देखना दिव्या रोशनी को उसकी परी जरूर मिलेगी भगवान अच्छे लोगों के साथ कभी बुरा नहीं करते भगवान को रोशनी से परी को मिलवाना ही होगा 
क्रमशः


मीनू द्विवेदी वैदेही

मीनू द्विवेदी वैदेही

बहुत अच्छी कहानी 👌 आप मुझे फालो करके मेरी कहानी पर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏

5 सितम्बर 2023

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रचनाएँ
रौशनी इक बहादुर लड़की
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यह कहानी पुरी तरह काल्पनिक है अगर यह कहानी किसी व्यक्ति विशेष जाती समुदाय से मिलती है तो यह मात्र एक संयोग होगा मुझे विश्वास है कि यह कहानी आप लोगों Pको उतनी ही पसंद आएगी जितनी की बाकी की कहानियां पसंद आती है यह कहानी है एक लड़की की जो मध्यम वर्गी परिवार से संबंधित है बचपन में ही उसके पिता को अपाहिज हो जाने के कारण पूरे घर की जिम्मेदारी उसके कंधों के आ जाती है और वह अपनी सूझबूझ से और कठिन परिश्रम करके अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करती है
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