सपने देखे इन आंखों ने तुम्हारी।
पूरे करना जिम्मेदारी केवल तुम्हारी।
सफ़र ये तय करना होगा अकेले।
डरना नहीं बातों से कभी लोगों की।
इस्तेमाल करेंगे भरपूर तुम्हारे पूरी तरह खर्च हो जाने तक।
निंदा मिलेगी खूनी रिश्तों से अपार।
मीलों तक साथ ना होगा कोई।
लेकिन जहां कदम पड़ेंगे तुम्हारे।
ऊपर वाला रखेगा वहां तुम्हारे लिए हाथ।
जहां पड़ेगी तुम्हारे श्रम की एक बूंद।
खिल जाएगा कुसुम वहां।
देने बहुतों को प्रेरणा।
आंसूओं की बूंदें,सफल होती आराधना का संदेश होंगी।
बस,तुम हिम्मत को समेटते रहना।।
समीक्षा द्विवेदी