उम्मीद और उदासी में अगर तुमने उम्मीद को चुना तो बना लेगी रास्ता अपने आने का,अपने होने का,अपने जिंदा रहने का।
क्योंकि उम्मीद है कुछ आत्मसम्मानी
तुम्हारी इच्छा पर चलने वाली, बहुत भरोसे से सहेज कर मन में रखोगे तो रहेगी हमेशा को।
लोगों का बैर है दूसरों की उम्मीदों से।
अच्छे जीवन की उम्मीद से।
उनकी प्रगति से।
उनके बसने से।
वहीं उदासी अगर बैठ गई,
एक बार मन में तो खतम कर देगी।
तुम्हारी सारी उमंगें।
घुन लगा देगी मन को।
उत्साह को,मेहनत को।
चुनना तुम्हे है सिर्फ तुम्हे।।
समीक्षा द्विवेदी
शब्दार्थ📝