*मिर्ज़ापुर नगर पालिका से पहले महिंद्रा बोलेरो, फिर वीरेंद्र, फिर सौरभ, फिर डीएस चौबे, फिर पीएन पाल, फिर मुकेश, अब अवधेश.... सब निपटा दिए गए*
*एक और ईमानदार अधिकारी पर गिरी गाज*
मिर्जापुर के बारे में कुछ खास बात
मीरजापुर। नगर पालिका परिषद मीरजापुर की कहानी खत्म नहीं होती। एक-एक करके सभी निपटाए जा रहे हैं। निपटाने वालों की चांदी है। कर्मचारियों की मिलीभगत से नगर पालिका की ज़मीनें निपटाई जा रही है। प्रधान कार्यालय के सामने करोड़ों की संपत्ति पालिका के एक चर्चित ठेकेदार के रिश्तेदार के कब्जे में है। यह ठेकेदार फर्जी इंजीनियर रामजी उपाध्याय का शुभचिंतक बताया जाता है। पालिका की कुछ संपत्ति को निजी हाथों में दिया जा रहा है, कुछ खाली कराए जा रहे हैं। भेदभाव का दौर अपने चरम पर है। जनगणना ऑफिस को निजी हाथों में दे दिया गया। पहले नगर पालिका में गाड़ियों की बैटरियां गायब होती थीं, फिर गाड़ियां गायब होने लगीं। निलंबित होकर ड्राइवर रोता रहा, बड़े बाबू का कुछ नहीं बिगड़ा और नई नई बोलेरो को लखनऊ में निपटा दिया गया।*
इस नगर पालिका में भवनों के नामांतरण से पहले जलकल विभाग के जाल में दो-तीन महीने फंसना पड़ता है। अमूमन ₹8 से ₹10,000 का बकाया निकाला जाता है। घूस का खौफ अलग से सताता है। गरीब की जान निकल जाती है। छल, फरेब और भ्रष्टाचार से निराश आम जनता घायल होकर कराह रही है। अहंकारी प्रभारी जलकल अभियंता का जलवा कायम करने के लिए असली जलकल अभियंता सौरभ श्रीवास्तव और डीएस चौबे को निपटा दिया गया।
सूत्र बताते हैं कि राजकुमारी खत्री के जाने के बाद ठेकेदार ब्रांड जनप्रतिनिधियों ने अपने सेहत की चिंता की। इसके लिए सबसे पहले अधिशासी अधिकारी वीरेंद्र श्रीवास्तव को निपटाया गया। काम की क्वालिटी को ताक पर रखकर कमीशन का कैलकुलेशन किया गया। इसके बाद छद्मवेशी ठेकेदारों के व्यापार और चल-अचल संपत्ति में वृद्धि के लिए कमीशन की मात्रा में कलाकारी कर दी गई। इस कलाकारी से फर्जी अभियंता रामजी उपाध्याय का पालिका में उदय हुआ। फर्जी अभियंता उपाध्याय के फर्जीवाड़े को जारी रखने के लिए बनारस से आए नगर अभियंता पीएन पाल को भी निपटा दिया गया।*
*नौसिखिया अधिशासी अधिकारी मुकेश कुमार की शहादत के बाद दूसरे अधिशासी अधिकारी अवधेश कुमार यादव आए। एक बार फिर नटवरलालों की बांछें खिल गईं। फर्जी नगर अभियंता राम जी उपाध्याय द्वारा कराए गए अनधिकृत कार्यों के भुगतान के लिए दबाव बनाया जाने लगा। जब वह किसी भी तरह से विश्वासघाती तत्वों के झांसे में नहीं आए तो अवधेश कुमार के खिलाफ फर्जी, अनर्गल, अभद्र आरोप लगाने लगे। धोखे से कमरा बंद करके उन्हें पहले धमकाया गया। अपवित्र हाथों से लिखे गए मनगढ़ंत स्क्रिप्ट को पढ़ा गया। अपशब्दों का अभ्यास किया गया। एक अभूतपूर्व नाटक का मंचन किया गया। नैतिकता धू-धू कर जलने लगी। बेशर्मी हदों को पार करने लगी। लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुरानी नगरपालिका की गरिमा को भी निपटा दिया गया।
अधिशासी अधिकारी अवधेश कुमार ने भी समझ लिया कि भ्रष्ट तत्वों को रामजी उपाध्याय जैसा फर्जी अधिकारी चाहिए। इस नगरपालिका में नियम और कानून को ताक पर रखने वाला और डीएम को चुनौती देने वाला सिंडिकेट अब काम करने नहीं देगा। *अवधेश कुमार के शब्दों में* *इसके लिए अवैध रूप से तथाकथित बैठक प्रायोजित की गई। इसमें सच्चाई को बड़ी निर्दयतापूर्वक मारा गया। अब जब अवधेश कुमार को कार्यमुक्त कर निपटा दिया गया है, तो देखना यह है कि नया अधिशासी अधिकारी कौन आता है या फिर कोई तीन साल तक आता ही नहीं! हमारे ही वोटों से निर्वाचित बोर्ड अब कहीं जनता पर तो बोझ नहीं बन गया है? इस उठापटक से मीरजापुर की जनता अब सोचने लगी है। सारे प्रकरण की एसआईटी जांच होनी चाहिए, ताकि राजनीति में घुस आए लंपट तत्वों की पोल खुल सके। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ को इस पालिका के बारे में विशेष रूप से सोचना चाहिए।*
समर चंद्रा
मीरजापुर, उ0प्र0
9453156100