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सबेरा होगा. ....

14 जनवरी 2023

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अजय बाबू मौर्य की अन्य किताबें

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रचनाएँ
यादें
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यह पुस्तक अपने प्यार के चले जाने के बाद उसकी यादों में खोए रहने और उसके साथ बिताए हुए पलों को दोबारा जीने की कोशिश है.....
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लोग बदल जाते हैं. ....

14 जनवरी 2023
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समय बदलता है तो लोग बदल जाते हैं इंसान नहीं रहते वो मौसम नजर आते हैं  शिकवा-शिकायत कैसी जमाने का दस्तूर है लहलहाते पेड़ के नीचे छांव ढूंढने जाते हैं हैसियत जरा कम क्या हुई अपनी यारों पल-पल औका

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याद आती हो तुम .....

14 जनवरी 2023
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याद आती हो तुम .....  सुबह नहाकर खिड़की के करीब बाल सुखाती  याद आती हो तुम ..... माथे पर सुर्ख बिंदी मांग में मेरे नाम का  सिंदूर लगाती   याद आती हो तुम ..... नित सांझ-सबेरे नियम से पूजन-अ

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सबेरा होगा. ....

14 जनवरी 2023
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सबेरा होगा इस आस में हूं नहीं कोई संदेह विश्वास में हूं अंधेरों से घिरा रहा बेशक अब तक  उजालों के लेकिन बहुत पास में हूं  जिंदगी में रही मुश्किलें बहुत मुश्किलों के बीच उल्लास में हूं  बंद

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तुम्हारी सादगी

14 जनवरी 2023
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तुम्हारी सादगी ने इस कदर दीवाना बनाया  सुनार से एक पाजेब खरीदकर ले आया ये हीरे, ये जेवरात फीके हैं तुम्हारे आगे मनिहार से बिंदी, सिंदूर खरीदकर ले आया दुप्पटा भी अच्छा है पर पल्लू की बात अलग त

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मंजूर न था. ....

14 जनवरी 2023
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तुमसे दूर होना मंजूर न था यूं नाकाम होना मंजूर न था लड़कर जमाने से चाहा था तुम्हें फिर बर्बाद होना मंजूर न था हम जानते हैं कसम तुम्हें भी थी बदलने का दिखावा मंजूर न था दरवाजा खोला मेज पर चा

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मेरे मन के आंगन में बसंत

20 अप्रैल 2023
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मेरे मन के आंगन में  सुधि चंद्रप्रभा है फैली तन सिहर सिहर जाता  यह कैसी दशा है मेरी। लखकर भी खोज न पाता प्रकृति की यह कैसी माया क्यों मन में उतर ही आई  जीवन दर्शन की ऐसी छाया।  मन की आंखों

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