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सच्चाई

18 मार्च 2015

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ये कङवी सच्चाईँ... . नदी तालाब मेँ नहाने मेँ शर्म आती है, और स्विमिँग पूल मेँ तैरने को फैशन कहते हो.... . गरीब को एक रुपया दान नहीँ कर सकते, और वेटर को टीप देने मेँ गर्व महसूस करते हो.. . माँ बाप को एक गिलास पानी भी नहीँ दे सकते, और नेताओँ को देखते ही वेटर बन जाते हो.... . बड़ोँ के आगे सिर ढकने मेँ प्रॉबलम है, लेकिन धूल से बचने के लिए 'ममी' बनने को भी तैयार हो.. . पंगत मेँ बैठकर खाना दकियानूसी लगता और पार्टियोँ मेँ खाने के लिए लाइन लगाना अच्छा लगता है... . बहन कुछ माँगे तो फिजूल खर्च लगता है, और गर्लफ्रेँड की डिमांड को अपना सौभाग्य समझते हो.. . गरीब की सब्जियाँ खरीदने मेँ इंसल्ट होती है, और शॉपिँग मॉल मेँ अपनी जेब कटवाना गर्व की बात है... . बाप के मरने पर सिर मुंडवाने मेँ हिचकते हो, और 'गजनी' लुक के लिए हर महीने गंजे हो सकते हो.... . कोई पंडित अगर चोटी रखे तो उसे एंटीना कहते हो, और शाहरुख के 'डॉन' लुक के दीवाने बने फिरते हो.... . किसानोँ के द्वारा उगाया अनाज खाने लायक नहीँ लगता, और उसी अनाज को पॉलिश कर के कंपनियाँ बेचेँ तो क्वालिटी नजर आने लगती है

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