कब तक सहमे रहोगे ललकारों से?यह हरगिज़ न कहो कि मर गया कोईदेश का हक़ था अदा कर गया कोईबिटिया के पीले हाथ कौन करेगाशहनाइयों का काम अब मौन करेगादायित्वों का निर्वहन कौन करेगाजान पर खेलकर गुजर गया कोईयह हरगिज़ न कहो कि मर गया कोईदेश का हक़ था अदा कर गया कोईअंधेरा कितना कर दिया इक फायर नेबुढ़ापे की लाठी