छोड़ निराशा की दुनिया को
बढ़ चले आशा की ओर ,
जहां भरी है खुशियां सारी
हर पल बढ़ती आशा को डोर,
बढ़ चले हम नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर,
आशा से मार निराशा को ,
अपना जीवन सफल करो
नकारात्मकता के साथ रहकर ,
सिर्फ अवसाद ही मिल पाएगा ,
हार , मार और नुकसान के शिवा
यहां कुछ और न मिल पाएगा ,।
बढ़े चलो नकारात्मकता से
सकारात्मकता की ओर,।।