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सकारात्मक और नकारात्मक सोच

20 अक्टूबर 2022

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छोड़ निराशा की दुनिया को
बढ़ चले आशा की ओर ,
जहां भरी है खुशियां सारी
हर पल बढ़ती आशा को डोर,

बढ़ चले हम  नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर,
आशा से मार निराशा को ,
अपना जीवन सफल करो

नकारात्मकता के साथ रहकर ,
सिर्फ  अवसाद ही मिल पाएगा ,
हार , मार और नुकसान के शिवा
यहां कुछ और न मिल पाएगा ,।

बढ़े चलो नकारात्मकता से
सकारात्मकता की ओर,।।


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