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बांझ का केहर

Shakshi tiwari

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राधिका पढ़ लिखकर एक अच्छा काबिल ऑफिसर बनना और अपने घर को चलाना यह बस एक ड्यूटी है पर जो प्रथाएं जो रूढ़ि वादियां यह सब चीज औरत पर ही डाली जाती है भलाई वह गलत हो या सही है राधिका भी उनमें से एक थी और उसके ऊपर भी यह सब चीज डाली गई संपूर्ण संपन्न जो हर औरत में देखा जाता है और उसी से विवाह किया जाता है कि मेरे घर को भी सबको संपन्न बीवी मिलेगी या बहु मिलेगी लेकिन अगर औरत में कोई कमी निकलती है तो वह गलत है वह घर में रहने लायक नहीं वह घर की बहू कहेनने लायक नहीं यही राधिका के साथ हुआ राधिका ने उस केहर को झेला। अपने बेटे को उसने एक लायक इंसान बनाया कि उसके घर वाले भी ना बना पाते। इस कहानी से एक यह सीख मिलती है कभी भी अपने आप को कमजोर नहीं समझना चाहिए उसे स्थिति से या परिस्थिति से हमें जूझकर निकालना चाहिए क्योंकि कभी ना कभी हम इस केहर से या कोई और प्रथा से हमें हमें जूझना पड़ता यह कहानी आपको एक सिख दे अब हम इस कहानी मैं क्या हुआ  

baanjh ka kehar

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