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शिल्पा करोसिया की डायरी

शिल्पा करोसिया

4 अध्याय
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shilpa karosiya ki dir

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पुस्तक के भाग

1

जीवन

17 दिसम्बर 2019
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<!-- wp:paragraph -->नमस्ते, कैसे हे आप सब लोग मुझे आज बहुत ख़ुशी हो रही हे की आज में अपनी पहली पोस्ट लिखने जा रही हु में आशा करती हु की आप सब लोगो को मेरे विचार अच्छे लगेंगे और आप मुझे सपोर्ट करेंगे और मुझे प्रोत्साहित करेंगे द

2

अपने आप को किसी से छोटा न समझे

17 दिसम्बर 2019
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नमस्ते ,दोस्तों भगवान ने हम सभी को एक जैसा बनाया हे,इंसान बड़ा या छोटा अपने कर्मो से होता हे या फिर कही न कही उसकी काबिलियत में कुछ कमी होती हे तो वह अपने आप को दुसरो से छोटा समझने लगते पर अपनी कमियों को दूर नहीं करते और निराश हो ज

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अपने साथ हुई बुरी चीज़ों को याद न करे

18 दिसम्बर 2019
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नमस्ते , हमेशा ऐसा होता हे की हम अपने साथ हुए बुरे हादसों या बुरी यादो को भूल नहीं पाते,बहुत से लोगो की ये शिकायत रहती हे की हम भूलना चाहते पर भूल नहीं पाते ,ऐसे में हम क्या करे,हम इंसान हे और ये बहुत ही स्वाभाविक हे की हर इंसान में जज़्बात होते हे

4

कभी अपने दिल की भी सुनो

24 दिसम्बर 2019
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<!-- wp:paragraph -->वास्तव में हमे जो करने की इच्छा हे वो हम नहीं कर पाते और जो समय हमसे करवाता हे ,हम फिर थक हार कर वही करने लगते हे ,जहा सभी लोग भागते दिखाई देते हे बस वही भागने लगते हे ...............रुको .................और सोचो इस रेस में हम कहा जाकर रुकेंगे

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