हिंदी मेरी प्यारी भाषा है उसे लिखना और पढ़ना पसंद करती हुँ
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सुगंधा के माध्यम से मन की भावनाओ को कविता के रूप में आप तक पहुचानें का एक प्रयास
अविरल हो गए नैनों के नीर।अति दुखद है मन के पीर ।।प्रेम बिना है जीवन सूना ।इसके बिना क्या जीना मरना ।। मन हो उठा अति अधीर ।कटेगी कब पीड़ा की जंजीर ।।विस्तृत नभ में मेरा कोई कोना होगा ।।कभी मेरा भी कोई बिल्कुल अपना होगा