अविरल हो गए नैनों के नीर।
अति दुखद है मन के पीर ।।
प्रेम बिना है जीवन सूना ।
इसके बिना क्या जीना मरना ।।
मन हो उठा अति अधीर ।
कटेगी कब पीड़ा की जंजीर ।।
विस्तृत नभ में मेरा कोई कोना होगा ।।
कभी मेरा भी कोई बिल्कुल अपना होगा
6 मार्च 2016
अविरल हो गए नैनों के नीर।
अति दुखद है मन के पीर ।।
प्रेम बिना है जीवन सूना ।
इसके बिना क्या जीना मरना ।।
मन हो उठा अति अधीर ।
कटेगी कब पीड़ा की जंजीर ।।
विस्तृत नभ में मेरा कोई कोना होगा ।।
कभी मेरा भी कोई बिल्कुल अपना होगा