Poet of Sunil jamnawat
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सुबह हुई,पसारा था कोहरे का मानो वीरान सा नजारा देहात का ओझल थे मानो सब घर ओझल थे मानो सब नर था परिवेश में शीत महा कांप उठी थी जन की रुह जहां थे घरों के अंदर उनके तन थे घरों के अंदर उनके मन