ना मेरी यादों में तुम हो
ना ही अब ख्याल तुम्हारा है
जख्म इतनी दी हो तुम
कि अब मेरे दिल में तुम्हारे लिए प्यार नहीं बचा है।
रोज मरता हूं इस मोहब्बत में
तेरी बेवफ़ाई की सितम से
कभी तो जान ले ले मेरी
तूं अपनी कातिल नजर से।
लेकिन इस दिल से आज भी तुम्हारे लिए निकलती है दुआ
खुश रहे जहां भी रहे तूं सदा
मैं जानता हूं मेरी बर्बादी में तुम्हारा हाथ है
लेकिन बदुआ तुम्हें कैसे दूं
तुम्हारे जाने से ही तो ये दिल खाली है।
~शशि कुमार