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तुझमें और तेरे इश्क़ में अंतर है इतना

7 सितम्बर 2020

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कल मिलने आइ वो,

मेरा पसंदीदा पकवान लाई वो।

हम दोनो बहुत सारी बातें किये,

उसकी और मेरे नयन ने भी मुलाक़ातें किए।

अचानक से पूछी मुझसे.

ये बताओ, मुझमे और इश्क़ में क्या अंतर हैं?

मैंने कहाँ, तुझमें और तेरे इश्क़ में अंतर है इतना,

तु ख़्वाब है और वो है सपना।

अब वो नाराज़ हो गईं,

रोते-रोते मेरे हाई कँधो पर सो गईं।

उठ कर बोली वो फिर से,

ऐसा क्यूँ सोचा है तुमने।

क्या तुम्हें याद नहीं माँ की बात सुन कर हर बार मैं आइ हूँ

शिर्फ तुम्हारे लिए दुनिया की झूठी अफ़वाह सुनकर भी मुस्कराई हूँ।

मैंने कहा, बाबु हर बात याद है मुझे,

मैंने कब कहा कि तुम मुझे भूल पाई हों।

आने दो वक़्त हर बात बताऊँगा,

बदलने का अन्दाज़ दिखाऊँगा।

आज कहती हो, थम जाती हैं। तुम्हारे बग़ैर साँसे हमारी,

कल तुम्हीं कहोगी, मैं सम्भल जाऊँगी ख़ुद सम्भालो मेरे बग़ैर ज़िन्दगी कवाँरी।

आयेंगे तुम्हारे भी सजना,

रहने तुम्हारे दिल के आँगन में।

उन्हें भी सेज पर रूह सौंपोगी,

क्या जो इश्क़ हुआ है मुझसे,

वही उनसे कर पाओगी।

चलो मान लिया भूल जाओगी,

मेरे इश्क़ को ग़लती समझ कर मिटाओगी।

कही मिल गया अनजान रास्ते पर तो.

जैसे आज हर बात कहती हो मुझसे,

वैसे ही उस दिन भी पाओगी।।

इसी लिए कहता हूँ तुममें तुम्हारे इश्क़ में अंतर है इतना

तुम झूठी ख़्वाबो में हो अपनी और,

इश्क़ है मेरा सच्चा सपना।


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divya

divya

Awesome

8 सितम्बर 2020

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आँखों में लाली

4 सितम्बर 2020
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देखो ना आँखों में लाली छाई हैं।रातों में जगा हूँ फिर से तुम्हारी याद आइ हैं।

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नाम क्यूँ नहीं लेते

5 सितम्बर 2020
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लोग कहते हैं तुम नाम क्यूँ नहीं लेते...!!!मैंने कहा छोड़ो यारों मैंने उन्हें छोड़ दिया इससे ज़्यादा और क्या इल्ज़ाम देते...!!!

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इश्क़ में बहने लगा

5 सितम्बर 2020
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वो मुझे कहने लगातेरे इश्क़ में बहने लगावक़्त की बात है फिर तुझसे हुई मुलाक़ात हैंकर लेंगे हम आहिस्ता आहिस्ता तुझ पर भी भरोसा अब जो उसका आश खोने लगाहम है तेरे लिए बेशक ग़ैर हैमगर हमें तो आज भी भरोसा है जैसे चाँद को तारों से इश्क़ होने लगा

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गैरों से बातें

5 सितम्बर 2020
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जा मिल कर उनसे मोहब्बत की बातेंतु ख़ुश है उसके साथ तो तेरा क्या करे हम बात तुझे ऐहशास क्या होगा मेरे दिल पर जो बिता वो विश्वास क्या होगा किसी को मत तड़पा इतना डर मुझे लगता है कही तुझे हुआ तो वो अवकाश क्या होगा

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शब्द रूचि

5 सितम्बर 2020
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मैं शब्द रूचि उन बातों की जो भूले सदा ही मन मोले-2अँगड़ाई हूँ मैं उस पथ का जो चले गए हो पर शोले-2हर बूँदो को हर प्यासे तक पहुँचाने का आधार हूँ मैं-2मैं बड़ी रात उन आँखो का जो जागे हो बिना खोलें-2जो कभी नहीं बोला खुल कर वो आशिक़ की जवानी हूँ।-2मीरा की पीर बिना बाँटे राधा के श्याम सुहाने हैं।-2

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तू कोमल कली

6 सितम्बर 2020
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तु वो बाग़ की कोमल कली हैतुझे तोड़ा अधर्मी वो बली हैजिसे तूने तन मन से माना हैउसने ही तुझे ये पापी दाग़ में साना हैमैं माली हूँ बाग़ से टूटे कली कातु कर भरोसा मेरे साँस कीतेरा छोड़ अब किसका होने वाली हूँतुझे डर किस बात कीदेख मुझे हज़ारों ग़म है फिर भी मतवाली हूँतु छंद है मेरे पंक्तियों की मैं नशा

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तुझमें और तेरे इश्क़ में अंतर है इतना

7 सितम्बर 2020
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15 सितम्बर 2020
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मै जानता हूँ सब बदल जायेगा। आज जान हो कल अंजान हो जाओगी। मेरे घर के हर कमरे की मान थी, अब मेहमान कहलाओगी। मै जानता हूँ सब बदल जायेगा, क्या खुद को बदल पाओगी। आज अम्बर धरती झील नदिया सब पूछते है जहाँ कल तक दोनो का नाम दिखाया करती थी, क्या अब उनकी भी खबर रख पाओगी। मै जानता हूँ सब बदल जायेगा, क्या रिश्त

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लिखूँगा

9 अक्टूबर 2020
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उठाया है क़लम तो इतिहास लिखूँगामाँ के दिए हर शब्द का ऐहशास लिखूँगाकृष्ण जन्म लिए एक से पाला है दूसरे ने उसका भी आज राज लिखूँगापिता की आश माँ का ऊल्हाश लिखूँगा जो बहनो ने किए है त्पय मेरे लिए वो हर साँस लिखूँगाक़लम की निशानी बन जाए वो अन्दाज़ लिखूँगाकाव्य कविता रचना कर

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