*आदमी एक रूप तीन*एक बार बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा, "क्या तुम हमें तीन तरह की खूबियां एक ही आदमी में दिखा सकते हो?""जी हुजूर, पहली तोते की, दूसरी शेर की, तीसरी गधे की। परन्तु आज नहीं, कल।" बीरबल ने
उठाया है क़लम तो इतिहास लिखूँगामाँ के दिए हर शब्द का ऐहशास लिखूँगाकृष्ण जन्म लिए एक से पाला है दूसरे ने उसका भी आज राज लिखूँगापिता की आश माँ का ऊल्हाश लिखूँगा जो बहनो ने किए है त्पय मेरे लिए वो हर साँस लिखूँगाक़लम की निशानी बन जाए वो अन्दाज़ लिखूँगाकाव्य कविता रचना कर
कल मिलने आइ वो,मेरा पसंदीदा पकवान लाई वो।हम दोनो बहुत सारी बातें किये,उसकी और मेरे नयन ने भी मुलाक़ातें किए।अचानक से पूछी मुझसे.ये बताओ, मुझमे और इश्क़ में क्या अंतर हैं?मैंने कहाँ, तुझमें और तेरे इश्क़ में अंतर है इतना,तु ख़्वाब है और वो है सपना।अब वो नाराज़ हो गईं,रोते-रोते मेरे हाई कँधो पर सो गईं
जा मिल कर उनसे मोहब्बत की बातेंतु ख़ुश है उसके साथ तो तेरा क्या करे हम बात तुझे ऐहशास क्या होगा मेरे दिल पर जो बिता वो विश्वास क्या होगा किसी को मत तड़पा इतना डर मुझे लगता है कही तुझे हुआ तो वो अवकाश क्या होगा
वो मुझे कहने लगातेरे इश्क़ में बहने लगावक़्त की बात है फिर तुझसे हुई मुलाक़ात हैंकर लेंगे हम आहिस्ता आहिस्ता तुझ पर भी भरोसा अब जो उसका आश खोने लगाहम है तेरे लिए बेशक ग़ैर हैमगर हमें तो आज भी भरोसा है जैसे चाँद को तारों से इश्क़ होने लगा
लोग कहते हैं तुम नाम क्यूँ नहीं लेते...!!!मैंने कहा छोड़ो यारों मैंने उन्हें छोड़ दिया इससे ज़्यादा और क्या इल्ज़ाम देते...!!!