बिना मतलब यहां रिश्ता किसी से कौन रखता है
जलाते हैं यहां सब लोग मरहम कौन रखता है
यहां गुरु द्रोणा है यह मांग लेते हैं अंगूठे को
मगर एकलव्य बन जाए ये गौरव कौन रखता है
यहां गम का अंधेरा था उजाला कौन लाया है
यहां पर गैर सब अपना बनाने कौन आया है
मेरी मंजिल अधूरी थी मेरे रस्ते थे अनजाने
पकड़ कर हाथ मेरे संग चलने कौन आया