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ऐ सहोदर

14 अक्टूबर 2022

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ऐ सहोदर द्वेष कैसा,प्रेम सरिता में बहो
मातृ निर्मल प्रेम को, कुछ मै गहू कुछ तुम गहो
पिता कुंठित रो रहा है, उसका गौरव खो रहा है।
टूट गया सपना सुनहरा, तू अभी तक सो रहा है।
मेरे अग्रज जनक हित, कुछ मै साहू कुछ तुम सहो 
मातृ निर्मल प्रेम को, कुछ मै गहू कुछ तुम गहो

लगरहा है तुम्हें छल में प्रेम को दिखला रहा हूं 
तुम्हे ठगने के लिए तेरा हृदय पिघला रहा हूं 
आत्म चिंतन की डगर कुछ मै चालू कुछ तुम चलो
मातृ निर्मल प्रेम को, कुछ मै गहू कुछ तुम गहो

सत्रु की पहचान करना अब कठिन होने लगा है
भावना से खेलते हो धैर्य अब खोने लगा है।
मुझे ठग तुम कह रहे हो, निज हृदय को झाक लो
भाई को भाई ना समझे उसकी पीड़ा आंक लो
मातृ ऋण से बंधा हूं बस इसलिए मै मौन
और तुम बेआदब मुझसे पूछते हो  मै कौन हूं 
सत्य पथ पहचान कर कुछ मै बढूं कुछ तुम बढ़ो।
मातृ निर्मल प्रेम को, कुछ मै गहू कुछ तुम गहो
 







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रचनाएँ
काव्य तरंग
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प्रिया पाठक , हम आपके सदा आभारी रहेंगे कि आप मेरी कविताओं को पढ़ने के लिए समय निकाल रहे हैं परंतु मेरा यह प्रयास है कि आपका समय जाया ना हो अतः हमने अपनी पुस्तक:-[ काव्य तरंग :-)में प्रेम, वीरता, वियोग जैसे अनेक विषयों को ध्यान में रखकर यह पुस्तक लिखा है। मेरा यह प्रयास है की आपको इस पुस्तक में सभी प्रकार के रसों का रसास्वादन कराएं तथा आपको पूर्ण संतुष्टि करें सहृदय धन्यवाद उपेंद्र दुबे
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शारदे मां शारदे मां

19 मार्च 2022
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शारदे मां शारदे मां लेखनी में धार दे मां....मूड सुत की कल्पना को एक नया आधार दे मांवासना में लिप्त है जन जल रहा साहित्य का तनतेरे सच्चे सूत् दुखी हैं सत्य पथ आधार दे मांशारदे

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आया हूं मैं साकी

19 मार्च 2022
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लेकर आया हूं मैं साकी कुछ फरियादें अब की शाम टूटा है दिल बिखर न जाए देना कोई ऐसा जाम होता है बेदर्द जमाना कैसे तुमको बतलाऊं हरा भरा है जख्म हमारा कैसे तुमको दिखलाउं आती है वह

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हाल-ए-दिल सुनाती रही

19 मार्च 2022
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हाले दिल सुनाती रही ये नजरें दिल की तस्वीर दिखाती रही फिर भी यकीन नहीं आया उनको पल-पल वह मुझे सताती रहीइंतहा इश्क की डगर पर मैं चलता रहाहर घड़ी वो मुझे आजमाती रहीउनसे पूछा गया था जो मेर

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बिना मतलब यहां

19 मार्च 2022
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बिना मतलब यहां रिश्ता किसी से कौन रखता हैजलाते हैं यहां सब लोग मरहम कौन रखता हैयहां गुरु द्रोणा है यह मांग लेते हैं अंगूठे को मगर एकलव्य बन जाए ये गौरव कौन रखता हैयहां गम का अंधेरा था उजाला

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उनसे क्या अभिलाषा होगी

21 मार्च 2022
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कायरता के दत्तक है जोबिना लड़े नतमस्तक है जोकरते है याश गान शत्रु काजिनमे घोर निराशा होगीउनसे क्या अभिलाषा होगीनिज पौरूष का भान नहीं है उन्हें कहीं सम्मान नहींअपमानित होते रहते हैंजिन्हें न कुछ ज

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मां

14 अक्टूबर 2022
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सुना सुना लगे जग सारा, कोई ना मेरा यहां संगी साथी ना कोई सहारा,तुझको ढूंढू कहां मुझको अपना तो आंचल उड़ा दे लोरी गा गा के मुझको सुला देआऊंगा तू है जहां मोरी मैया तुझको ढूंढूं कहांकरदे ख

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ऐ सहोदर

14 अक्टूबर 2022
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ऐ सहोदर द्वेष कैसा,प्रेम सरिता में बहोमातृ निर्मल प्रेम को, कुछ मै गहू कुछ तुम गहोपिता कुंठित रो रहा है, उसका गौरव खो रहा है।टूट गया सपना सुनहरा, तू अभी तक सो रहा है।मेरे अग्रज जनक हित, कुछ मै साहू कु

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तो क्या होगा

24 नवम्बर 2022
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तुम्हे हम भी सताने पर उतर आएं तो क्या होगातुम्हारा दिल दुखने पर उतर आएं तो क्या होगाहमे बदनाम कररहे हो नाजाने महफिलों में क्यूंअगर हम सच बताने पर उतर आएं तो क्या होगा

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हे राष्ट्र विरोधी कंश

24 नवम्बर 2022
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हे राष्ट्र विरोधी कंस , बहुत पछताएगा तेरा कृष्ण करेगा विध्वंश न तू बच पाएगाजब देश हमारा एक सूत्र में बांधने लगाक्यों कट्टर पंथी देख देख के जलाने लगानफ़रत का जहर गर मुल्क में तू फैलाएगातू उस

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