shabd-logo

उत्तम क्षमा, सबको क्षमा, सबसे क्षमा

15 सितम्बर 2016

1199 बार देखा गया 1199

उत्तम क्षमा, सबको क्षमा, सबसे क्षमा


क्षमावाणी पर्व का अपना एक अलग ही महत्व होता है। क्षमा पर्व हमें सहनशीलता से रहने की प्रेरणा देता है।

अपने मन में क्रोध को पैदा न होने देना और अगर हो भी जाए तो अपने विवेक से, नम्रता से उसे विफल कर देना। अपने भीतर आने वाले क्रोध के कारण को ढूँढकर, क्रोध से होने वाले अनर्थों के बारे में सोचना और अपने क्रोध को क्षमारूपी अमृत पिलाकर अपने आपको और दूसरों को भी क्षमा की नजरों से देखना। अपने से जाने-अनजाने में हुई गलतियों के लिए खुद को क्षमा करना और दूसरे के प्रति भी इसी भाव को रखना इस पर्व का महत्व है।

क्षमा पर्व मनाते समय अपने मन में छोटे-बड़े का भेदभाव न रखते हुए सभी से क्षमा माँगना इस पर्व का उद्देश्य है। हम सब यह क्यों भूल जाते हैं कि हम इंसान हैं और इंसानों से गलतियाँ हो जाना स्वाभाविक है। ये गलतियाँ या तो हमसे हमारी परिस्थितियाँ करवाती हैं या ज्ञान तावश'> अज्ञानतावश हो जाती हैं। तो ऐसी गलतियों पर न हमें दूसरों को सजा देने का हक है, न स्वयं को। यदि आपको संतुष्टि के लिए कुछ देना है तो दीजिए ‘क्षमा’।

क्षमा करने से आप दोहरा लाभ लेते हैं। एक तो सामने वाले को आत्मग्लानि भाव से मुक्त करते हैं व दूसरा दिलों की दूरियों को दूर कर सहज वातावरण का निर्माण करके उसके दिल में फिर से अपने लिए एक अच्छी जगह बना लेते हैं।

तो आइए अभी भी देर नहीं हुई है। इस क्षमावणी पर्व से खुद को और औरों को भी रोशनी का नया संकल्प पाठ गढ़ते हुए क्षमा पर्व का असली आनंद उठाए और खुद भी जीए और दूसरों को भी जीने दे के संकल्प पर चलते हुए क्षमापर्व का लाभ उठाएँ।

“उत्तम क्षमा, सबको क्षमा, सबसे क्षमा”



बिंदु जैन की अन्य किताबें

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए