वागीश्वरी (सात यगण+लघु गुरु) सरल मापनी --- 122/122/122/122/122/122/122/12, 23 वर्ण"वागीश्वरी सवैया"उठो जी सवेरे सवेरे उठो जी, उगी लालिमा को निहारो उठो।नहा लो अभी भाप पानी लिए है, बड़े आलसी हो विचारो उठो।कहानी पढ़ी है जुबानी सुनी है, सुहानी हवा है सँवारो उठो।दवा से भली है सुबा की जुगाली, चलाओ पगों को ह