सन 1984-85 की बात है जून का महीने की सुबह जब सो रहा था मम्मी और घर के बड़े लोग उठ चुके थे कुछ अभी भी सो रहे थे मेरी चारपाई आँगन के एक कोने में पडी थी मेरी उम्र उस समय लगभग 12, 13 साल होगी मै थोड़ा देर से उठता था और वैसे भी स्कूल की छुट्टियां चल रही थी पढाई आदि का काम था नहीं इस लिए आराम से सो रहा था मेरे घर के मुख्य दरवाजे खुले थे
अचानक मुझे किसी ने जगाया जब मैंने अर्ध निद्रा से उसे देखा तो चौंक गया वह एक औरत थी और मेरे परिवार या पड़ोस की भी नहीं थी वह औरत बहुत ही बदहवास सी थी और चिल्ला कर कह रही थी विकी सिक्की मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह आखिर कहना क्या चाह रही थी लेकिन मैं भी कुछ घबरा सा गया था तब तक मेरे परिवार के खुछ लोग भी आ गए वे भी उस औरत की बात नहीं समझ पा रहे थे वह औरत मुलत: बंगाल या विहार की थी और अपने क्षेत्र की भाषा में कह रही थी खैर घर के लोगों ने उसे भगा दिया हालांकि वह छुपने की जगह देख रही थी लेकिन एक अपरिचितऔरत को कैसे छुपा सकते इस लिए उसे घर से निकाल दिया
खैर अब मैं भी जाग चुका था और घर से बाहर वह औरत मोहल्ले में भाग गई उसके पीछे पीछे कुछ लोग लाठी और डंडे लेकर मोहल्ले में आ गए अब मुझे पूरी घटना का पता मामला यह था उस औरत को लोग बंगाल अथवा विहार से खरीद कर लाये थे और वह औरत विक्की विक्की नहीं कह रही थी वह कहरही थी मैं विक्री की हूँ लोग मुझे खरीद कर लाए हैं और मुझे इनसे बचा लो किसी तरह से वह उनके चंगुल से भाग कर आयी थी खैर हमारे परिवार के लोगों ने उसे भगा दिया और उसकी कोई मदद नहीं की उसके बाद वह मोहल्ले में एक दुस्र्रे घर में गयीउन लोगों ने उसके साथ बलात्कार किया और उन लोगों के हाथों सौंप दिया
आज भी मुझे इस बात का मलाल है कि उसकी कोई मदद नहीं कर पाया