वतन के सपूत(नाटक)प्रथम अंक "हमारा देश"पुस्तक
(शाम का समय था लोग अपने-अपने घर में बैठे बातें कर रहे थे कि विक्रम मुखिया जी के नाती इस समय अपने गांव और हम सभी का नाम देश भर में रोशन कर रहा है उन्होंने देश के दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिये |यही बातें करते-करते सारा गांव सो गया लेकिन मुखिया के परिवार वाले जैसे के तैसे बातें कर रहें हैं ) विक्रम -(अप