5 जून 2022
पता नहीं तुम कैसे जीते l मैंने तो धरती को नापा l और गगन को भी हैं भांपा ll निसि-बासर जाग्रत हो करके l सुरभित कलियों को खो करके ll तुमको देखा तुम पहले थे l बीत गए