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आज नोएडा वाले बांग्लादेशियों से पिट रहे हैं और दुबक कर बैठे हैं|

15 जुलाई 2017

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परसों मैने Dr राजीव मिश्र की वो सिंदरी वाली पोस्ट शेयर की थी । उसकी प्रतिकिरया प्रतिक्रिया में एक बंगाली भद्र पुरुष ने बाकायदा पोस्ट लिख के मेरे को लानतें दीं ।

बहरहाल एक और पोस्ट पेश ए खिदमत है .......Dr Rajeev Mishra की कलम से ...... जो भी गालियां देनी हों उन्ही को दें , मुझ गरीब को नही ।

मैं तो सिर्फ शेयर करता हूँ .......


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एक समय एक बात कही जाती थी...जो बंगाल आज करता है, पूरा देश उसे कल करता है...

यह बात बहुत हद तक सच भी है. हमारे मोहल्ले में बहुत से बंगाली भद्रलोक परिवार थे. तब उस जमाने में ज्यादातर बंगाली घरों में कामवाली दाई काम करती थी...उनके बिना उनका काम नहीं चलता था. मेरे बाजू वाली चाची दाई के नहीं आने पर गर्मी की दोपहर में डेढ़ किलोमीटर पैदल चल कर दाई को बुलाने चली जाती थीं, पर एक समय चार बर्तन खुद नहीं माँज सकती थीं. आज किसी का काम कामवाली बाई के बिना नहीं चलता. एक समय बंगाली घरों में ही रेफ्रीजिरेटर हुआ करता था जहाँ दोपहर में ही रात का खाना बना कर रख दिया जाता था, ताकि शाम खाली रहे...खाना न बनाना पड़े. तब बाबूजी फ्रिज को "खाना बासी करने की मशीन" कहते थे. आज हर घर में यही होता है. तब 4-5 भाई-बहन का परिवार सामान्य बात थी पर बंगाली परिवार "एक टा छेले एक टा मेये" वाला होता था...आज सबके एक ही बच्चे होते हैं. तब बंगाली बच्चे खेल ने नहीं निकलते थे...बेचारे निरीह से बालकनी से बाहर टुकुर टुकुर ताकते और बैठ कर होमवर्क करते थे...आज सबके बच्चे वही करते हैं...

हमारी पीढ़ी में हमारे मोहल्ले में बंगाली-बिहारी का यह सांस्कृतिक विभेद बहुत गहरा था. तब हमारे स्कूल में एक बांग्ला सेक्शन अलग हुआ करता था जहाँ उन्हें बांग्ला विषय अलग पढ़ाया जाता था और हिंदी आठवीं क्लास में पांचवीं क्लास की पढ़ाई जाती थी. तब बांग्ला क्लास के बच्चों से लड़ाई झगड़े में पिट कर आना तो बिल्कुल अपमान का चरम था...अव्वल तो ऐसा होता नहीं था, पर अगर कोई बंगाली से मार खाकर आया तो सारे बच्चे उसे चिढ़ा चिढा कर पानी पानी कर देते...बंगाली से मार खाया...बंगाली से मार खाया...

तब बंगाली होना कायरता की अति मानी जाती थी. आज नोएडा वाले बांग्लादेशियों से पिट रहे हैं, दुबक कर बैठे हैं. पूरा देश ही कायरों का देश होता जा रहा है. दुर्भाग्य से यह सच है कि जो बंगाली कल कर रहे थे, वह पूरा देश आज कर रहा है...पूरी पीढ़ी ही बंगालियों जैसी हो रखी है...आश्चर्य क्या है कि जो आज बंगाल की दुर्दशा है वह कल पूरे देश की होने वाली है...


मूल लेखक: अजीत सिंह

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