हिंदी ग़ज़ल
ग़ज़ल मत समझो घबरा कर रोने वाला हूँ अब मैं एक चुनौती होने वाला हूँ जोता,बखरा ,खाद मिला दुःख ,दर्दों का ग़ज़लों की फसलों को बोने वाला हूँ लहू बहाते ताज़े ताज़े ज़ख्मों को अश्कों की गंगा से धोने वाला हूँ सतत साधना करता हूँ संघर्षों की मत समझो मैं जादू टोने वाला हूँ जीवन भर तक बोझ नहीं मैं ज़ुल्मों का अपने सर