बहुत याद आते हो तुम,
बहुत याद आतीं हैं बातें तुम्हारी
बहुत इंतज़ार करती हूँ तुम्हारा,
हर मोड़ पर ठहर जाती हूँ,
कि शायद
कहीं से दिख जाये,
तुम्हारा साया|
2 अप्रैल 2019
बहुत याद आते हो तुम,
बहुत याद आतीं हैं बातें तुम्हारी
बहुत इंतज़ार करती हूँ तुम्हारा,
हर मोड़ पर ठहर जाती हूँ,
कि शायद
कहीं से दिख जाये,
तुम्हारा साया|
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मैं एक आयुर्वेद चिकित्सक हूँ | अच्छी किताबें पढ़ना मेरा शौक है कभी कभी कुछ लिखने का मन करता है, कुछ बातें जो शायद अंतर्मन में छुपी होतीं हैं उन्हें व्यक्त करने का मन करता है," अव्यक्त को व्यक्त करने का मन करता है" | D