ज़िंदगी तू है और एक मैं
समझना तुझे चाहती हूँ
तू मेरी समझ से है दूर,बहुत दूर
कभी छू कर महसूस करना चाहुँ , तो
लगता है, तू भाग रही है |
तुझे बढ़कर रोकना चाहुँ , तो
लगता है, तू पहले से ही थमी है |
हर पल रंग बदलती है तू,
कभी बहुत फीके तो कभी बहुत स्याह
जब भी चाहुँ तेरे रंग में रंगना
उसी पल रंग बदलती है तू