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तुम्हारा जाना

13 जुलाई 2018

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चले गए हो तुम यूँ अचानक

और ले गए हो साथ अपने

सारी खुशियाँ सारा उत्साह और जीने की चाह | सब कुछ |

जिंदगी चल तो रही है तुम बिन

पर क्या सच में जिन्दा हैं हम

पापा खामोश हैं और मम्मी भी चुप हैं

होंठ तो फिर भी बोल पड़ते हैं

पर आँखों में सबकी मौन है

चले गए हो तुम यूँ अचानक

सारे सपने और उम्मींदे तोड़कर

और तोड़ गए हो साहस

नए सपने देख पाने का

रितिका दीक्षित गौतम की अन्य किताबें

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रचनाएँ
avykt
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मन में निरंतर कुछ न कुछ विचार आते जाते रहते हैं, जिन्हे हम कभी व्यक्त कर पाते हैं और कभी नहीं | कभी यूँ भी होता है कि हम कह तो देते हैं पर आपके उन विचारों को,उन भावनाओं को कोई समझ नहीं पाता और एक तीस मन को दर्द देती रहती है, ये पेज बनाने का उद्देश्य अपने विचारो को अपनी भावनाओ को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कभी किसी लेख कभी किसी कविता के माध्यम से बाँटना है |
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ज़िंदगी

27 जून 2018
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ज़िंदगी तू है और एक मैं समझना तुझे चाहती हूँतू मेरी समझ से है दूर,बहुत दूर कभी छू कर महसूस करना चाहुँ , तो लगता है, तू भाग रही है | तुझे बढ़कर रोकना चाहुँ , तो लगता है, तू पहले से ही थमी है | हर पल रंग बदलती ह

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तुम

12 जुलाई 2018
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मेरी ख़ामोशी की आवाज़,मुस्कराहट का अंदाज़, बंद पलकों का ख्वाब, और हर ख़ुशी का राज़, हो तुम एक सपने सा है साथ तुम्हारा, एक हकीकत है प्यार तुम्हारा, होठो पे हँसी, आँखों में नमी है तुमसे हर बात की दास्तान है तुमसे, और कहुँ कैसे कितना प्यार है तुमसे

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तुम्हारा जाना

13 जुलाई 2018
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चले गए हो तुम यूँ अचानक और ले गए हो साथ अपने सारी खुशियाँ सारा उत्साह और जीने की चाह | सब कुछ | जिंदगी चल तो रही है तुम बिन पर क्या सच में जिन्दा हैं हम पापा खामोश हैं और मम्मी भी चुप हैं होंठ तो फिर भी बोल पड़ते हैं पर आँ

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दुःख

22 जनवरी 2019
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वर्ष भले ही बीत गया, एकस्मरण उस दिवस का, लेष मात्र भी कम ना हुआ, विषैली यादें, उस कड़वे दिन कीहैं आज भी जीवित मन मश्तिष्क पर, सजल हैं नेत्र, व्यथित हृदय है आजभी। हृदय व मन में, भावनाओं का वेग है, परअभिव्यक्ति के लिए शब्दों का अभाव है। किस से, एवं किस प्रकार, बताएँइसी उहापोह में, दुख के इस सागर

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तुम

2 अप्रैल 2019
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सूनी थी नज़र, ख्वाब देखना तुम सिखा गए खामोश होठो को मुस्कुरना सिखा गए तन्हा कर जाने का ग़िला क्या करे तुमसे तन्हाई में भी खुश रहना तुम सिखा गए |

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याद

2 अप्रैल 2019
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बहुत याद आते हो तुम, बहुत याद आतीं हैं बातें तुम्हारी बहुत इंतज़ार करती हूँ तुम्हारा, हर मोड़ पर ठहर जाती हूँ,कि शायद कहीं से दिख जाये, तुम्हारा साया|

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तुम्हारा साथ

2 अप्रैल 2019
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मेरी ख़ामोशी की आवाज़, मुस्कराहट का अंदाज़, बंद पलकों का ख्वाब, और हर ख़ुशी का राज़, हो तुम एक सपने सा है साथ तुम्हारा, एक हकीकत है प्यार तुम्हारा ,होठो पे हंसी, आँखों में नमी है

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तुम

17 मार्च 2020
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मैं अब भी तुम्हारे बारे मे लिखती हूँहाँ, मैं अब भी तुम्हारे बारे मे लिखती हूँ। एक अरसे से साथ हैं हम, और इस साथ के बारे मे लिखती हूँ। मैं अब भी तुम्हारे बारे मे लिखती हूँ। जानती हूँ कभी कहोगे नहीं तुम, परये बात बहुत खुशी देती है तुम्हे, किमैं अब भी तुम्हारे बारे मे लिखती हूँ। वो अहसास जो कुछ 18 साल

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