छंद दुर्मिल सवैया (वर्णिक ) शिल्प - आठ सगण सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा, ११२ ११२ ११२ ११२ ११२ ११२ ११२ ११२ माँ शैलपुत्री मंच परिवार को सुख स्वास्थ्य और सम्पदा प्रदान करें, मेरे पूरे परिवार के तरफ से शारदीय नवरात्र के प्रतिपदा पर हार्दिक बधाई, मंगल शुभकमाना, ॐ जय
दुर्मिल सवैया (वर्णिक ) शिल्प - आठ सगण, सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा सलगा, ११२ ११२ ११२ ११२ ११२ ११२ ११२ ११२“दुर्मिलसवैया”हिलती डुलती चलती नवका, ठहरे विच में डरि जा जियरा।भरि के असवार खुले रसरी, पतवार रखे जल का भँवरा ।अरमान लिए सिमटी गठरी, जब शोर मचा हंवुका उभरा।ततका