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पप्पू कौंन है ?

30 सितम्बर 2017

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फेसबुक एक ऐसा माध्यम हो गया है जो हर दूसरे व्यक्ति को महा ज्ञानी होने का अहसास करवाता है,जिसने फेसबुक बनाया है,वो भी मन्द मन्द मुस्कुराता होगा,और कहता होगा कि देखो मैने भारत मे कितने ज्ञानी पैदा कर दिए,बिना प्रजनन क्रिया के । बोलने की आजादी संविधान में है तो इसका मतलब नही कि कोई कुछ भी बोल जाए । कम से कम राष्ट्रीय पटल पर तो अपने देश और देश के प्रधानमंत्री के बारे में तो नही ही बोलना चाहिए । क्या हमने कभी किसी विदेशी व्यक्ति की प्रोफाइल में उसे अपने देश या देश के प्रधानमंत्री के बारे में बोलते,लिखते देखा या सुना है ? अगर वो ऐसा करते होंगे तो भी वह किसी गम्भीर मसलों पर ही ऐसा कुछ लिखते होंगे ।वो जानते हैं कि देश सारे बातों झगड़ों से ऊपर है,सारे हित बाद में होते हैं पहले देश हित होता है । अगर जिस देश की जनता अपने प्रधानमंत्री की इज्जत न करे वो सारी दुनिया के सामने यह जता जाता है कि वह अपने देश के प्रति कितनी जिम्मेदारी रखता है । राजनीति की बात होनी चाहिए,लेकिन उसमें किसी व्यक्ति विशेष की बात न हो । मुद्दों पर बात हो समस्याओं पर हो । हम जिस प्रधानमंत्री के बारे में बोलते हैं,फिर चाहे वह किसी भी पल्टी का हो,अगर वो सामने आ जाये या उससे अपनी बात कहने का मौका मिले तो इस करोड़ों की आबादी वाले देश मे शायद ही कोई ऐसा होगा जो उसके लिए वैसा कुछ उसके सामने बोल सके जो वो फेसबुक या ऐसे ही किसी अन्य मध्यम के जरिये रोज बोला करता है । देश का हर वो नेता जो राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान रखता है उससे जुड़े उसके कार्यकर्ताओं को बेसशक उसके पक्ष में बोलने का हक है लेकिन किसी दूसरे के बारे में नाम जद बोलना न तो अधिकार है न ही संस्कार है भारतीय लोगों का । किसी के धर्म को बुरा कहना किस धर्म ग्रन्थ में लिखा है,कौंन सा वह धर्म ग्रन्थ है जिसको पढ़ कर हम दूसरे के धर्म को बुरा और खुद के धर्म को अच्छा कहने की शिक्षा पा रहे हैं ? हम भूल जाते हैं कि हमारे दुख सुख में हमारे पड़ोसी ही पहले आते हैं देश के दलगत और धर्म की राजनीति करने वाले बाद में । हम रोज जो कपड़े पहन कर इतराते हैं उन कपड़ो को 70% मुस्लिम कारीगर ही तैयार करते हैं,हमारे घरों का पैखाना साफ करने वाला भी हमारी रोज की जिंदगी का हिस्सा है वो भी हमारे समाज के लिए जरूरी है । अगर देश का मुसलमान हिदू होटल,किराना दुकान,डॉ, आदि के पास जाना छोड़ दे तो अनुमान लगा लीजिये आबादी का कितना बड़ा हिस्सा हिदू लोगो के व्यवसाय को प्रभावित करता है । सबका अपना धर्म है,और उसको मानने का आना तरीका है । आज हर 100 हिदू में से जितने भी फोन का उपयोग करते हैं और जितने मुसलमान उयोग करते हैं उनके फोन में कम से कम 10 तो मुसलमान के और हिन्दू के नम्बर सेफ होंगे,फिर क्यो ये महजबी बातें होती हैं,क्या आज से 60 साल पहले या 4 साल पहले देश के मुसलमान देश के नही थे (जैसा इनदिनों कहा जाता है) वो अचानक कैसे विदेशी हो गए ? कौंन हमको ये ज्ञान करवाया ? कोई बता सकता है ? जरा सोचिए,अगर देश का प्रधानमंत्री कोई मुसलमान बने और उसके समर्थक ये कहें कि हिन्दू लोग देश मे शरणार्थी हैं उनको देश से जाना चाहिए या वो प्रधानमंत्री मुश्लिम धर्मी कानून-कायदा लागू कर दे या नोट से गांधी जी को हटा किसी मुश्लिम धर्मग्रंथ या पीर पैगंबर की फ़ोटो लगवा दे,तब तो हम हिन्दू क्या करेंगे,शायद आपा खो देंगे । हम जिस राहुल गांधी जी को पप्पू बुलाते हैं वो आज की तारीख में देश के vvip लोगो मे से एक हैं,अगर वो पप्पू हैं तो फिर मुझे या आपको या किसी और आम देश वासी को vvip सुरक्षा क्यो उपलब्ध नही है । जानते हैं क्यो क्योकि पप्पू राहुल जी नही हम लोग हैं ।जो खुद कुछ नही हैं और एक अकेला व्यक्ति जो पूरी दुनिया मे नाम और पहचान रखता है उसे हम पप्पू कहते हैं क्यो क्योकि हम उसके बराबर नही पहुंच सकते । दोष इसमे किसी का नही है,ये भारतीय हवा ही ऐसी है कि जो हमारे पहुंच में न हो या जो हम नही बन या कर सकते हों वो व्यक्ति या वो चीज ही दुनिया की सबसे बेकार चीज है । छोटा सा उदाहरण दु तो हिदू लोगों का 90% हिस्सा मांस नही खाता क्योकि वो हिन्दू है और इसलिये उसे मांस खाने में बुराई नजर आती है,दूसरी तरफ दुनिया की 90% आबादी मांस खाती है क्योकी उनको उसमे कोई बुराई नजर नही आती । मतलब साफ है,जो हमको पसंद नही वो सबसे बुरा और सबसे गलत है । हमको हमारी सोच और समझ बदलनी होगी,क्योकि आज दुनिया तेजी से आगे बढ़ रही है,अगर हम यूँही हिन्दू मुस्लिम ,पप्पू-पापा करते रहे तो हम दुनिया के लिए आने वाले वक्त में मजाकिया बन कर रह जाएंगे,जनते हैं हम आज भी क्यो बाकी देशों के मुकाबले पीछे है,क्योकि आज 70 सालों बाद भी हमें यह बताया जा रहा है कि हमको शौच के लिए कहाँ जाना है,हाथ कहे से धोना है,गिला सूखा कचड़ा कहा और कैसे रखना है,अगर देश का विकास सोचने वालों की पूरी ऊर्जा और ध्यान इन हास्यास्पद बातों और कामों में लगा रहे तो वो बाकी किस बात के बारे में सोचेंगे,आज पूरा सरकारी तंत्र यही बताने समझने में लगा हुआ है ,शिक्षक भी पढ़ाई का काम छोड़ शौच करते हुए व्यक्ति को खोजने और बने शौचालय को गिनने में लगे हुए हैं तो फिर कैसे देश तरक्की करेगा । देश मे अगर (आपलोगों के नजर में) राहुल जी पप्पू हैं तो फिर देश की करोड़ो जनता भी पप्पू है,क्योकि हमको ये बताया है रहा है कि शौच कहाँ करना है । जरा सोच बदल कर देखिये,अच्छा और बेहतर दिखेगा । ये देश हमारा घर है,और घर की बातें बाहर सबके सामने नही लाई जाती हैं । उमीद है कुछ लोगों को मेरी बात समझ आई होगी और कुछ लोग फिर पप्पू बन कर अपनी अक्ल का परिचय देंगे । जय हिंद,जय भारत ।×अलख

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