"जिदंगी"
मिसिंग लव
DW 22/03/2015
लेखक-वतन शहज़ादा
मै बाईक लेकर हाईवे पर आ गया ,
मेरे ख्वाब मेरे सामने आ गया जो एक एक करके टूटते
जा रहे थे और बाईक की रफ्तार बडती जा रही थी ,
मैंने सोचा जिसे मैंने इतनी मौहब्बत की वो पत्नी जब
मेरी ना हुई तो जीने से क्या फायदा ,
मैंने और स्पीड बडा दी 120/130 की स्पीड ।
तब ही अचानक किसी की बाईक गिर गई,
शायद एक्सटेंडेड हुआं था ।
लेकिन मै अपनी सोच मे चला जा रहा था ,
मरने के लिये ,
हाईवे पे तीन चार घंटे चलने के बाद हाईवे एक जगंल में
खत्म हुआ ।
मुझे एक नहर दिखाई दी ,
नहर से कुछ दुरी पर बाईक खड़ी की और मरने को चल
दिया नहर के पास ।
नहर के पास ही एक प्लांट टाइप का पार्क था ,
वहां बहुत सारे लोग बैठे थे ,
लड़की लडका बुड्ढे बुड्ढी ,
कुछ मुझे इतने बुड्ढे दिखे 110/120 साल के मैं सोचना
लगा रात को 9/10 बजे ये क्या कर रहे हैं यहां ।
और इतने सुनसान जगल में बच्चे भी खेल रहे थे ।
लेकिन मुझे तो मरना था ,
और मै पहुंच गया नहर के पास ,
मैं बीना कुछ सोचे आँखें बन्द करके नहर में कुंद गया
.....?
जब मैंने आँख खोलीं तो देखा.......?
ये क्या मै अभी तो नहर में कुंदा फिर ऊपर कैसे ?
शायद डर से नहीं कुंदा ,
लेकिन मुझे तो मरना था मै फिर कुंद गया नहर में ।
लेकिन क्या मै फिर बच गया नहर मै पानी कम था
अब ।
मै फिर से ऊपर आया , तब .....?
तुम भी मरने आये हो जनाब .............!!!""
मेरे पास आकार एक व्यक्ति ने कहा ।
मैंने हाँ सर ,,,,
व्यक्ति - मरो....मरो ...
और जब मरने में सफल हो जाओं तो मुझे बता देना ।
क्यों...? मैंने कहा ।
वो बोला 20 साल से मै कोशिश कर रहा हूं ।
आज तक सफल नहीं हो पाया मरने में ।
मैं - तो तुम भी मरना चाहते हो !"" लेकिन डर रहे हो
।
तुम मुझे ये बताओ ?
इस नहर में सबसे अधिक गहराई किधर हैं ।
जब तुम मुझे मरते हुये देखना ,
तुम्हारा डर दुर हो जायेगा तो तुम भी मर जाना ।
व्यक्ति - पार्क की तरफ हाथ करते हुये ,
जनाब देखो ये सब मरना चाहते हैं ।
लेकिन आज तक कोई सफल नहीं हो पाया ।
मैंने - कहा ये सब क्यों मरना चाहते हैं ,
बच्चे बुढे और जवान ,
व्यक्ति- ये सब भी परेशान हैं तुम्हारी तरह ।
मै- तो एक काम करो सबको बुलाओ एक साथ मरते हैं
।
व्यक्ति- फिर भी नहीं मरोगे !!
मैं - क्यों..?
व्यक्ति - लगता हैं नये हो , मै भी तुम्हारी तरह था
जब नया नया आया था ना समझ ,
मैं - नया , मतलब क्या हैं ।
व्यक्ति - जनाब मौत एक बार आती हैं , बार बार
नहीं ।
मै - तो मै कौन सा बार बार मरना चाह रहा हूं , मुझे
अब इस दुनिया में नहीं जीना ।
व्यक्ति - दुनिया में...!!
अरे जनाब तुम अभी तक नहीं समझे .....?
तुम जिन्दा नहीं हो ....
मरररररररररर . चुके हो तुम ।
मै मैऐऐऐऐ मरररर मै कैसे मर गया ?
मै तो जिन्दा आया था ।
वो देखों मेरी बाइक ( जहा बाईक खड़ी की उधर
हाथ दिखाते हुये )
उस पर ही तो आया था ।
व्यक्ति- बाईक ...? कहा हैं बाईक ?
मैंने मुड़ कर देखा , अरे ये क्या मैंने वही तो बाईक
खड़ी की थी ।
मैं भागा भागा बाईक बाली जगह पर पहुँचा ।
लेकिन वहा बाईक ना मिली ।
मै घबराहट मे , मैंने बाईक लोन पे ली थी अब क्या
होगा ।
मै रोता परेशान - प्लांट पार्क में पहुंचा ।
वहां बैठे बच्चे / जवान/ बुड्ढों से पूछा ।
बाबा आपने मेरी बाईक देखी , अरे बेटा तुमनें देखी
मेरी बाईक मैंने यही बहार खड़ी की थी लालकलर
की ....!!
लेकिन वो सब मुझे देखकर जोर जोर से हँसने लगे ।
व्यक्ति - मेरे पास आया ,
जनाब तुम मर चुके हो यहां कोई बाईक नहीं हैं ।
मैं - फिर ये सब ,
व्यक्ति - ये सब भी मर चुके हैं मेरी और तुम्हारी तरह ,
ये सब भूत हैं ।
लेकिन मुझे बिश्वास नहीं हो रहा था ।
व्यक्ति - आओ तुम मेरे साथ बहार आओं ।
मै बहार उसके साथ आया ।
व्यक्ति - ये बोर्ड पढों ,,,
गोकुल मुक्तिधाम ( श्मशान घाट)
उस बोर्ड पर पढ़ा ,
फिर भी मुझे यकीन नहीं था ।
वो व्यक्ति - चलो मेरे साथ ,
मुझे लेकर उसी हाईबे पर आ जाता हैं जिसपर मै बाईक
चला रहा था ।
जनाब देखो - ये ही बाईक हैं ना तुम्हारी जो टूटी
पढ़ी हैं ।
मेरे हौस उड़ गये -
टूटी बाईक देखकर ... खुन से सना रोड़ ,
और चारो तरफ भीड़ ,
उसी भीड़ में लिखाई करते पूलिस वाले ,
तब ही मुझे भावना की रोने की आवाज़ सुनाई दी ,
मैं - अरे भावना क्यों रो रही हो मैं ठीक हूं ....?
लेकिन भावना तो मुझे सून ही रही थी ।
मै पागल हो रहा था ।
व्यक्ति - देखो ऐम्बुलेंस में तुम्हारी लाश ....!!
तुम मर चुके हो भावेश तुम मर चुके हो ।
वो व्यक्ति बोला - हाँ भावेश अब तुम इन्सान नहीं
हो भूत बन चुके हो ।
मुझे तभी याद आया -
अरे बो मै ही था जब हाईवे पर बाईक गिरी थी ,
ऐक्सिडेंट किसी और का नहीं मेरा हुआं था ,
तब मुझे सब कुछ समझ आया ।
मै आज भी भूत बन कर इधर उधर भटक रहा हूं ।
क्यों की मेरी पत्नी की बेवफाई ने मुझे बना दिया
भूत भूत भूत ।
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"जिदंगी"
मिसिंग लव स्टोरी
DW 22/03/2015
लेखक -वतन शहज़ादा
अलीगढ