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"जिदंगी" मिसिंग लव स्टोरी

15 दिसम्बर 2017

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"जिदंगी" मिसिंग लव DW 22/03/2015 लेखक-वतन शहज़ादा मै बाईक लेकर हाईवे पर आ गया , मेरे ख्वाब मेरे सामने आ गया जो एक एक करके टूटते जा रहे थे और बाईक की रफ्तार बडती जा रही थी , मैंने सोचा जिसे मैंने इतनी मौहब्बत की वो पत्नी जब मेरी ना हुई तो जीने से क्या फायदा , मैंने और स्पीड बडा दी 120/130 की स्पीड । तब ही अचानक किसी की बाईक गिर गई, शायद एक्सटेंडेड हुआं था । लेकिन मै अपनी सोच मे चला जा रहा था , मरने के लिये , हाईवे पे तीन चार घंटे चलने के बाद हाईवे एक जगंल में खत्म हुआ । मुझे एक नहर दिखाई दी , नहर से कुछ दुरी पर बाईक खड़ी की और मरने को चल दिया नहर के पास । नहर के पास ही एक प्लांट टाइप का पार्क था , वहां बहुत सारे लोग बैठे थे , लड़की लडका बुड्ढे बुड्ढी , कुछ मुझे इतने बुड्ढे दिखे 110/120 साल के मैं सोचना लगा रात को 9/10 बजे ये क्या कर रहे हैं यहां । और इतने सुनसान जगल में बच्चे भी खेल रहे थे । लेकिन मुझे तो मरना था , और मै पहुंच गया नहर के पास , मैं बीना कुछ सोचे आँखें बन्द करके नहर में कुंद गया .....? जब मैंने आँख खोलीं तो देखा.......? ये क्या मै अभी तो नहर में कुंदा फिर ऊपर कैसे ? शायद डर से नहीं कुंदा , लेकिन मुझे तो मरना था मै फिर कुंद गया नहर में । लेकिन क्या मै फिर बच गया नहर मै पानी कम था अब । मै फिर से ऊपर आया , तब .....? तुम भी मरने आये हो जनाब .............!!!"" मेरे पास आकार एक व्यक्ति ने कहा । मैंने हाँ सर ,,,, व्यक्ति - मरो....मरो ... और जब मरने में सफल हो जाओं तो मुझे बता देना । क्यों...? मैंने कहा । वो बोला 20 साल से मै कोशिश कर रहा हूं । आज तक सफल नहीं हो पाया मरने में । मैं - तो तुम भी मरना चाहते हो !"" लेकिन डर रहे हो । तुम मुझे ये बताओ ? इस नहर में सबसे अधिक गहराई किधर हैं । जब तुम मुझे मरते हुये देखना , तुम्हारा डर दुर हो जायेगा तो तुम भी मर जाना । व्यक्ति - पार्क की तरफ हाथ करते हुये , जनाब देखो ये सब मरना चाहते हैं । लेकिन आज तक कोई सफल नहीं हो पाया । मैंने - कहा ये सब क्यों मरना चाहते हैं , बच्चे बुढे और जवान , व्यक्ति- ये सब भी परेशान हैं तुम्हारी तरह । मै- तो एक काम करो सबको बुलाओ एक साथ मरते हैं । व्यक्ति- फिर भी नहीं मरोगे !! मैं - क्यों..? व्यक्ति - लगता हैं नये हो , मै भी तुम्हारी तरह था जब नया नया आया था ना समझ , मैं - नया , मतलब क्या हैं । व्यक्ति - जनाब मौत एक बार आती हैं , बार बार नहीं । मै - तो मै कौन सा बार बार मरना चाह रहा हूं , मुझे अब इस दुनिया में नहीं जीना । व्यक्ति - दुनिया में...!! अरे जनाब तुम अभी तक नहीं समझे .....? तुम जिन्दा नहीं हो .... मरररररररररर . चुके हो तुम । मै मैऐऐऐऐ मरररर मै कैसे मर गया ? मै तो जिन्दा आया था । वो देखों मेरी बाइक ( जहा बाईक खड़ी की उधर हाथ दिखाते हुये ) उस पर ही तो आया था । व्यक्ति- बाईक ...? कहा हैं बाईक ? मैंने मुड़ कर देखा , अरे ये क्या मैंने वही तो बाईक खड़ी की थी । मैं भागा भागा बाईक बाली जगह पर पहुँचा । लेकिन वहा बाईक ना मिली । मै घबराहट मे , मैंने बाईक लोन पे ली थी अब क्या होगा । मै रोता परेशान - प्लांट पार्क में पहुंचा । वहां बैठे बच्चे / जवान/ बुड्ढों से पूछा । बाबा आपने मेरी बाईक देखी , अरे बेटा तुमनें देखी मेरी बाईक मैंने यही बहार खड़ी की थी लालकलर की ....!! लेकिन वो सब मुझे देखकर जोर जोर से हँसने लगे । व्यक्ति - मेरे पास आया , जनाब तुम मर चुके हो यहां कोई बाईक नहीं हैं । मैं - फिर ये सब , व्यक्ति - ये सब भी मर चुके हैं मेरी और तुम्हारी तरह , ये सब भूत हैं । लेकिन मुझे बिश्वास नहीं हो रहा था । व्यक्ति - आओ तुम मेरे साथ बहार आओं । मै बहार उसके साथ आया । व्यक्ति - ये बोर्ड पढों ,,, गोकुल मुक्तिधाम ( श्मशान घाट) उस बोर्ड पर पढ़ा , फिर भी मुझे यकीन नहीं था । वो व्यक्ति - चलो मेरे साथ , मुझे लेकर उसी हाईबे पर आ जाता हैं जिसपर मै बाईक चला रहा था । जनाब देखो - ये ही बाईक हैं ना तुम्हारी जो टूटी पढ़ी हैं । मेरे हौस उड़ गये - टूटी बाईक देखकर ... खुन से सना रोड़ , और चारो तरफ भीड़ , उसी भीड़ में लिखाई करते पूलिस वाले , तब ही मुझे भावना की रोने की आवाज़ सुनाई दी , मैं - अरे भावना क्यों रो रही हो मैं ठीक हूं ....? लेकिन भावना तो मुझे सून ही रही थी । मै पागल हो रहा था । व्यक्ति - देखो ऐम्बुलेंस में तुम्हारी लाश ....!! तुम मर चुके हो भावेश तुम मर चुके हो । वो व्यक्ति बोला - हाँ भावेश अब तुम इन्सान नहीं हो भूत बन चुके हो । मुझे तभी याद आया - अरे बो मै ही था जब हाईवे पर बाईक गिरी थी , ऐक्सिडेंट किसी और का नहीं मेरा हुआं था , तब मुझे सब कुछ समझ आया । मै आज भी भूत बन कर इधर उधर भटक रहा हूं । क्यों की मेरी पत्नी की बेवफाई ने मुझे बना दिया भूत भूत भूत । ########### "जिदंगी" मिसिंग लव स्टोरी DW 22/03/2015 लेखक -वतन शहज़ादा अलीगढ

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