shabd-logo

उम्मीद

20 अक्टूबर 2017

88 बार देखा गया 88
उम्मीदों के समंदर का कहां कोई तल होता है उगते सूरज के लिए तो सारा जहां समतल होता है आशाओं के उजाले से तो कण-कण चमकता है प्रयासों के आगे तो नव भी नतमस्तक होता है इन मुश्किल राहों में कोई कण कंटक कोई पत्थर होता है पर मंजिलों का द्वार आखिर फूलों से ही सजता है विपत्ति में घबराने से कहां कुछ हल होता है आखिर कर्मों के तूफानों से ही सुनहरा कल होता है.......

samay meena की अन्य किताबें

किताब पढ़िए