उम्मीद
उम्मीदों के समंदर का कहां कोई तल होता है उगते सूरज के लिए तो सारा जहां समतल होता है आशाओं के उजाले से तो कण-कण चमकता है प्रयासों के आगे तो नव भी नतमस्तक होता है इन मुश्किल राहों में कोई कण कंटक कोई पत्थर होता है पर मंजिलों का द्वार आखिर फूलों से ही सजता है विपत्ति में घबराने से कहां कुछ हल होता है