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होरी..

14 मार्च 2017

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हम गिरि गेन भइया होरी मा, खुब रंगिगेन रंग अबीरी मा, जब सबै लोग रंग ख्यालै लाग, ह्रिदय इच्छा हमरेओ जाग, हम मचा दीन फिरि दउड़ भाग, सब रंगि दीन्हेन लरिका हमका, तब पत्नी का गुस्सा भड़का, उई मुहिं ते मिर्चा दई मारेन, धरि बंदूक की गोली मा, हम गिरि गेन भइया होली मा...... खुब रंगि.. जब बकि लीन्हेन जिउ भरि हमका, तौ तमकि कहेन का हौ लरिका, रंगु पोते करिया घूमि रहेव, गधचर कीन्हेओ है घरु भरिका, उई तारेन सब पुरिखा हमार, खुब कउव्वा कर्कस बोली मां, हम गिरिगेन भइय्या होरी मा।खुब रंगिगेन. मुल लरिकईं हमरे भरी रहै, औ कलिही होरिउ बरी रहै, खुब धमा चौकड़ी घरु मा भै, सनीचरु हमरेओ खुर मा है, हम लरिकन साथै खुब कूदेन, उई खाना खाए का जब ढूंढ़ेन, हम तखता के नीचे लुके रही, मुँह पोते कूकुर बने रही, दुलरउवा जइसे ढोढ़ी मा, हम गिरिगेन भइया होरी मा, खुब रंगिगेन रंग अबीरी मा, हम गिरिगेन...

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