माँ का आँचल
चन्द लाइनें मेरे उन भाईयों कि लिये जो परदेश मे रह रहे है ॥,,ऐ माँ तेरे आँचल की ओ याद बहुत आती है ।जँहा पे खेला बचपन वो छाँव बहुत भाती है ॥ताल तलैया आम की बगिया ,जँहा पे खेला बचपन है ।वो हिन्दुस्तान की माटी हमको याद बहुत आती है ॥,,,,सुबह सुबह वो दूध भात माँ जब तू हमे खिलाती थी ।मेरे तन को रगड रग