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28 जुलाई 2018 को द इंडियन एक्सप्रेस में हरबंस मुखिया ने एक लेख लिखा जिसमें उन्होंने कुल मिलाकर इस बात पर घोर आपत्ति जताई है कि क्यों आजकल टीवी चैनलों पर ऐसी बात की जाती है कि भारत में मध्यकाल में तलवा

वैसे तो ईरानी क्रांति जनवरी 1979 में ही शुरु हो गई थी, पर नई व्यवस्था की शुरुआत फरवरी में हुई। इस प्रकार क्रांति के चालीस वर्ष हो चुके हैं। आवश्यक है कि इसका लेखा-जोखा किया जाए। यह दुखद है कि इस ऐतिहा

एक दिन वसंत वाटिका में सुबह की सैर करके जब मैं घर लौट रहा था तो दाहिने  तलवे में थोड़ा दर्द महसूस हुआ। घर में कुर्सी पर बैठकर जब दाहिने पैर का जूता  उतारकर देखा तो पाया कि जूते की तल्ली का अग्रभाग घिस

13 अभी पिछले सप्ताह मेरा इन्दौर का दो-दिवसीय दौरा हुआ। वहां राजभाषा संगोष्ठी थी। कहने को तो यह मेरा तीसरा दौरा था, लेकिन इन्दौर को थोड़ा ध्यान देकर पहली बार देखा। लगभग बीस लाख की जनसंख्या के साथ इन्दौ

– प्रोफेसर डॉक्टर संजय जैन नहीं रहे!! – आज शुक्रवार की सुबह कैसी मनहूस सुबह थी, जब एक मित्र से इस अनपेक्षित, अप्रत्याशित और हृदय को क्षत-विक्षत करने वाली घटना का अत्यंत दुखद समाचार मिला । पल भर के लि

पिछले दो महीनों से हम चीन के साथ लद्दाख की गलवान घाटी में उलझे हुए हैं । पर जब तक बात केवल उलझने तक ही सीमित थी, तब तक तो सह्य थी । लेकिन अभी चार दिन पहले दोनों सेनाओं के बीच जमकर हाथपाई हुई और वह भी

डॉ. शैलेन्द्र कुमार तुर्की : एक परिचय इस्लाम की दृष्टि से तुर्की एक महत्वपूर्ण देश है । यह संसार के सभी मुसलमानों के मजहबी और राजनीतिक मुखिया — खलीफा का मुख्यालय भी रह चुका है ।1 तुर्की की सरकार के

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय। अर्थ: जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला। जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुर

“बुद्धिमान व्यक्ति का कोई भी शत्रु नहीं होता। वह जो भलाई को लोगो के दिलो में सभी के लिए विकसित करता चला जाता है। वह आसानी से अपने लक्ष्य प्राप्ति के एक-एक कदम आगे बढ़ता चला जाता है। आचार्य चाणक्य

डॉ.निशा गुप्ता साहित्यिक नाम डॉ. निशा नंदिनी भारतीय का जन्म 13 सितंबर 1962 में उत्तर प्रदेश के  रामपुर जिले में हुआ था। पिता स्वर्गीय बैजनाथ गुप्ता रामपुर चीनी मिल में अभियंता थे और माता स्वर्गीय राधा

अपनापन, भाईचारा'मैं' के भाव ने सब को माराइस में अपनेपन की छाँव नहीं'मैं' हूँ, 'हम' का भाव नहीं 'मैं' में स्वार्थ हरा-भरा लालच में लिपटा, अपने निमित्त 'मैं' से आपस का भाईचारा मराऊपर उठने की मनसा'हम' का मनोभाव नहीं 'मैं' के उद्धार करण मेंऔरों की बड़ती से मन झुलसा

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बहुत कम लोग इनको जान पाते है कम से कम जो मेरी तरह कंप्यूटर विज्ञान पढ़ रहे है | इस व्यक्ति की प्रतिभा को हम माप नहीं सकते | आज अगर आप फ़ोन या कंप्यूटर जैसे उपकरणों का प्रयोग कर पा रहे है तो इसमे सबसे बड़ा योग- दान डेनिस रिटची का है |

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वर्तमान मे मेरा कम्प्यूटर कुछ इस तरह का दिखता है |

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