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ग़ज़ल

27 जुलाई 2022

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ग़ज़ल 

वो चांद है जुगनू है सितारा तो नहीं है। 
जो कुछ भी है वो शख्स हमारा तो नहीं है।। 

तू भी तो बिछड़ कर नहीं रह पायेगा ज़िन्दा। 
मेरा भी बिना तेरे गुज़ारा तो नहीं है।। 

होठों पे जो मुस्कान है तेरे वो हमारी। 
आंसू तिरी आंखों में हमारा तो नहीं है।। 

क्यों मंज़िलें क़दमों को मिरे चूम रही हैं। 
हाथों में कहीं हाथ तुम्हारा तो नहीं है।। 

जचता नहीं है कोई तुम्हें देखने के बाद। 
इस शहर में तुम से कोई प्यारा तो नहीं है।। 



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