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हक से मांगा था

21 दिसम्बर 2021

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हक से मांगा था अपना हक उसनें ,

सजा  दिये मैने उसके सारे सपनें,

इजहार -ए-वफा कोई कसूर था क्या ,

जो लगे वो मेरी तस्वीर को अपने हांथों से ढकने,

मैं क्या हूँ मेरी तो बात छोड़ ही दो ,

इश्क के लिये भगवान भी लगे थे बिकने ,

बहुत मनाने पर एक वो शख्स माना ही नहीं,

तुम होते कौन  हो लगा मुझसे ये वो कहने!


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