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कोई गैर था

6 सितम्बर 2021

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गलतियां सबसे होती है वो क्या कोई गैर था 

चले  गये हो जो इतनी दूर हमसे क्या कोई बैर था 

जाना ही था एक दिन तो वापस आये ही क्यों थे 

जो तुम निभा ना सके मेरे रिश्ते में क्या कोई जहर था 

मिलना बिछड़ना लिखा होता है सबके मुकद्दर में

जिसे कहा था तुमने पराया क्या कोई अजनबी शहर था 

लाख रोकना चाह किसी अपने ऩे तुम्हे 

रुकते भी तुम किसके लिये क्योंकि यहां कोई गैर था 

सिलसिला मेरे और उसके बीच यूँ थम सा गया 

जैसे मेरी  बातों में उसके लिये क्या कोई जहर था 

मैं तो मुद्दतों से भटका हूँ एक तेरे खातिर 

लेकिन तेरे दिल में मेरे सिवा क्या कोई और था

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