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मालिक 🙏

30 अक्टूबर 2021

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एक नमकीन चाय का प्याला लिए,
जो उनके सामने बैठ जाती हूं ।
जाने कैसे चुस्की दर चुस्की,
चाय मीठी होती जाती है।
वो मेरी बस सुनते है ।
मै बस अपनी कहती जाती हूं।
भटकी थी हर दरवाज़े पे,
वो गर्म चाय का प्याला लिए,
सब मसरूफ थे अपनी उलझन में,
मै लौट गई बिना चाय पिए।
आज प्याला भरा दोबारा तो,
फिर बैठ गई उनके आगे,
इस बेहरी चीखती दुनिया में,
मेरी धड़कन डर सी जाती है।
पर उनको इतने शोर में भी
ये कैसे सुनाई दे जाती है?
नाम उनका वो सुनते हैं।
यकीनन मेरी हर धड़कन में
वो झोली पहले भरते हैं।
मै बाद में हाथ फैलाती हूं।
मै उनके आगे झुकी खड़ी,
बस एक ही बात दोहराती हूं
तू मालिक है मै दासी हूं ।
तू मालिक है मै दासी हूं ।।



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