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anchal ओझा की डायरी

anchal ओझा

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anchal ojha ke dir

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पुस्तक के भाग

1

क्या यही है देश की तकदीर

12 जून 2016
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जहां रिश्वत, प्रलोभन, लोभ और वोट के बाजार में,पैदा होता देश का तारणहार है,जहां सत्ता की भूख से, कुर्सियों की दौड़ में,वोट का करता वह नोट से व्यापार है।क्या वो देश को चला पायेगा,इस तरह के लोभ में मतंगियों को,कौन राह दिखायेगा ?क्या भारत अपनों में ही लुट जायेगा,या फिर से पैदा होना पड़ेगा,भगत, आजाद, शिव

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स्वच्छ पर्यावरण हेतु मजबुत इच्छाशक्ति की आवष्यकता : अंचल ओझा

23 जून 2016
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पाॅलिसी निर्माण में सरकार की अह्म भूमिका होती है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। आज वैश्विक स्तर पर पर्यावरण को लेकर बात की जा रही है, शुद्ध, स्वच्छ एवं स्वस्थ्य पर्यावरण को लेकर कई पर्यावरण विशेषज्ञों तथा वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर की है। भारत के परिपेक्ष्य में मेरा व्यक्तिगत मत यह है कि पर्यावरण को

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निर्भया का पत्र आपके नाम

23 जून 2016
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निर्भया का पत्र आपके नाम- अंचल ओझा, अंबिकापुरलोग कहते हैं मुझे आज़ादी ज्यादा मिल गई, इसलिये बिगड़ गई हूँ।लोग कहते हैं मैं छोटे कपड़े पहनती हूँ, इस लिये बदचलन हूँ। पड़ोस के काका ने भाई से कहा आजकल तेरी बहन मोबाईल पर ज्यादा बात करती है, सम्हालो नहीं तो हाथ से निकल जायेगी। पड़ोस में चर्चा होती है की बेटी को

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स्वच्छता अभियान कुछ इस तरह से

12 जनवरी 2017
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पूर्व से ही निर्मल भारत अभियान के नाम से यह योजना संचालित थी, किन्तु तब शौचालय बनवाने एवं अन्य कार्य के लिये जबरदस्ती नहीं किया जा रहा था। देश में नरेन्द्र दामोदर भाई मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार आयी उसने स्वच्छ भारत अभियान को ज्यादा तवज्जों दी और राज्य सरकारों को, राज्य सरकारों ने जिला सरकार

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खादी और चरखा विचारधारा की लड़ाई

14 जनवरी 2017
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खादी और चरखा दोनोें ही महात्मा गांधी के पर्याय माने जाते हैं। राजनीति के चश्में को यदि किनारे कर दिया जाये, कांग्रेस और भाजपा की सोच पर यदि निष्र्कष निकाला जाये तो मुझे जहां तक लगता है, कि हां कम से कम कांग्रेस ने गांधी को मिटाने या हटाने का प्रयास नहीं किया। उनके ब

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क्या हिन्दू धर्म खोखला और कमजोर है ?

16 जनवरी 2017
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डॉ पाल दिनाकरन प्रार्थना सभा : फोटो धर्म इतना कमजोर कैसे है कि वह मात्र एक प्रार्थना से बदल दिया जाता है, या फिर आपके छुआ-छूत का भेदभाव इतना बड़ा है कि लोगों को दूसरी ओर खिंचता है, चाहे जो भी हो। किन्तु पिछले तीन दिनों में जो कुछ भी सरगुजा संभागीय मुख्यालय अम्बिकापुर में घटित हुआ। उसने कहीं न कहीं स

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बेपटरी हुई बजट?

1 फरवरी 2017
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सरकार का बजट आ गया है, उम्मीद से बहुत दूर और निराशाजनक बजट कई मायनों में है, एकाध-दो प्वाइंट को छोड़ दिया जाये, सरकार के साहस को दरकिनार कर दिया जाये तो एक-दो प्रमुख बातों के अलावा मुझे जो लगता है बजट से जनता को जितनी उम्मीदें थी, उस मुताबिक कुछ भी नहीं है, खासकर मजदूर, गरीब, किसान, युवा और महिला वर्

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