डॉ पाल दिनाकरन प्रार्थना सभा : फोटो
धर्म इतना कमजोर कैसे है कि वह मात्र एक प्रार्थना से बदल दिया जाता है, या फिर आपके छुआ-छूत का भेदभाव इतना बड़ा है कि लोगों को दूसरी ओर खिंचता है, चाहे जो भी हो। किन्तु पिछले तीन दिनों में जो कुछ भी सरगुजा संभागीय मुख्यालय अम्बिकापुर में घटित हुआ। उसने कहीं न कहीं से यह संदेश जरूर दिया है और वह, यह है कि एक धर्म वह है जो बिना बुलाये, बिना ढोये अपने धर्मगुरू के संदेश को सुनने लाखों की संख्या में कड़ाके की ठण्डी में 4-4 घंटे बैठकर सुनने के लिये दूर-दूर से चला आता है। तो वहीं दूसरी ओर एक धर्म वह भी है जो समाचार पत्रों के जरिये लोगों के बिच यह संदेश पहुंचाता है कि मुस्लिम और ईसाई देश की अंखण्डता को तोड़ रहे हैं, इन धर्म सभाओं में धर्मांतरण और मतांतरण जैसे कृत्य हो रहे हैं। मेरा सीधा सा सवाल है दूसरे धर्म के उन लोगों से जो धर्मांतरण और मतांतरण की बात करते हैं कि हे महा मानव सार्वजनिक मंच पर और खुले में एक प्रार्थना सभा हो रही है जहां पर की सर्वधर्म के लोग आमंत्रित हैं वहां पर कैसे किसी को धर्म परिवर्तित करने हेतु कोई उकसा सकता है या फिर धर्म परिवर्तन करा सकता है। हमेशा से यह सुनने को मिलता है कि धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है, मेरा सवाल है कि क्या आपका धर्म और आपके लोग इतने कमजोर हैं कि वे केवल एक प्रार्थना मात्र से अपने धर्म को बदल देना चाहते हैं या फिर कहीं उनके मन मस्तिष्क में यह बात तो घर नहीं कर गई है कि आज भी आपके धर्म और समाज के एक कोने में ऊंच-नीच और बड़ी जाति, छोटी जाति का भेदभाव है, एक वर्ग आज भी ऐसा है हमारे इस धर्म और समाज में जो कि दूसरे वर्ग का बनाया हुआ भोजन खासकर चावल ग्रहण नहीं करता, उनके द्वारा दिया हुआ जल ग्रहण नहीं करता और यदि आपका यह धर्म, आपका यह समाज उनसे ऐसा भेदभाव कर रहा है और वे किसी दूसरे धर्म के प्रति आकर्षित हो रहे हैं तो यह आपकी गलती है कि आपका धर्म और आपका समाज उस स्थान पर खड़ा है जहां पर प्यार की भाषा नहीं बोली जाती। सीधे-सीधे समाचार पत्रों में पत्रकारवार्ता के साथ एक विज्ञप्ति दी जाती है जिसका हेड लाईन होता है “इस्लाम और ईसाइयत का आक्रमण है - धर्मांतरण”। जिसके पहली लाईन में लिखा जाता है कि इस्लामिक और ईसायत की तलवारें पूरी शक्ति के साथ भारत की धरती पर चल रही है। इनके पास विदेशी पैसे की पूरी ताकत है आतंक फैलाने की खुली छूट है, शासन और प्रशासन के साथ ही वोटों की राजनीति की तृष्टिकरण की दृष्टि ने इन्हें खुलकर खेल ने का अवसर दिया है। छल और फरेब का प्रयोग तो इनके रक्त में है साथ ही सेवा के नाम पर शिक्षा के नाम पर नौकरी और चिकित्सा के नाम पर भोले-भाले गरीब गिरिवासियों, वनवासियों और समाज के अनपढ़ पिछड़े हरिजनों में घुस कर उन्हें बहकाना और उनका मत बदलना उनका स्वभाव बन चुका है।
जिस विज्ञप्ति में तलवारे चलने और तलवारे खिंचने की बात हो, जिस वर्ग ने और जिन्होंने इस विज्ञप्ति को जारी किया हैं मेरा उनसे सीधा सा सवाल है कि जब अपने बच्चों को पढ़ाना होता है तो सबसे पहले आरएसएस, भाजपा, बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद से जुड़े लोगों को भी सरस्वती शिशु मंदिर, विवेकानंद स्कूल या सरकारी स्कूल याद नहीं आता बल्कि होली क्रास स्कूल, काॅर्मेल कान्वेंट, मोन्ट फोर्ट में पढ़ाना अपना स्टेट्स समझते हैं। किसी को यदि यह भी जानना हो कि किस-किस भाजपा नेता, आरएसएस, बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद के पदाधिकारी अपने बच्चे को इन मिशनरी स्कूलों में पढ़ाये या पढा रहे हैं तो कृपया मुझसे संपर्क करेंगे ऐसे लोगों के नाम ही नहीं पुरी लिस्ट दे दूंगा जो आरएसएस में जिला स्तर के जिम्मेदार पोस्ट पर रहते हुए अपने बच्चों को होलीक्रास में पढ़ाना अपना स्टे्टस समझते हैं। ऐसे पदाधिकारी जो सरस्वती शिशु मंदिर के जिम्मेदार पोस्ट पर रहते हुए अपने बच्चे को होलीक्रास में पढ़ाते हैं और बात करते हैं कि शिक्षा और स्वास्थ्य के नाम पर धर्मांतरण हो रहा है, फिर क्यों अपने बच्चों को ऐसे स्थानों में पढ़ा रहे हैं जहां धर्म परिवर्तित कराया जाता है। जब अपने किसी परिजन को चिकित्सा दिलाना हो तो होलीक्रास की बात की जाती है, सरकारी हाॅस्पिटल में जाना नहीं चाहते जिसे भाजपा की सरकार और डाॅ. रमन के नेतृत्व में पिछले 12-13 वर्षों से चलाया जा रहा है। सच तो यह है कि जितने साधन, सुविधा और सेवा इन मिशनरी संस्थाओं के पास है, उतना यदि आप हिन्दू-हिन्दू का जप करते हुए प्रयास करते तो शायद आज आपको इनकी जरूरत नहीं पड़ती लेकिन आप जैसे लोग जो हर बात पर हिन्दू कमजोर हो रहा है, हिन्दू का धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है, इस्लाम देश में बढ़ रहा है जैसी केवल बात कर सकते हैं। कुछ करना नहीं चाहते। मैं पुछना चाहता हूं कि कम से कम सरगुजा और छत्तीसगढ़ किन स्थानों पर इस्लामिक और ईसाइयत की तलवारें पूरी शक्ति के साथ फैल रही हैं।
जब आपके इन बकवास बातों के प्रति हमारे हिन्दू भाईयों मंे इतनी ही निष्ठा है तो फिर ये उस प्रार्थना सभा जिसे डाॅ. पाल दिनाकरन और उनकी टीम संचालित कर रही थी से भी अधिक संख्या में अथवा आधे संख्या में अथवा एक चैथाई संख्या में भी क्यों आपके कार्यक्रम में एकत्रित नहीं हुए। इसका कारण यह रहा कि आपके द्वारा पत्रकार वार्ता कर जो जहर ऊंगली गई, उससे सबका मन व्यथित हुआ जो आपके कार्यक्रम में आना चाहते थे वे आपके अर्नगल प्रलाप के कारण नहीं आये, कि तलवारे चल रहीं है इसाईयत और इस्लामिक धर्म परिवर्तन कराने तलवारे चला रहे हैं। जब इस प्रार्थना सभा से आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल जैसे कई हिन्दूवादी संगठनों को इतनी ही आपत्ति थी तो आपने सभा की अनुमति ही क्यों दी? प्रदेश और देश दोनों जगहों पर आपकी सरकारें हैं यदि वे चाहते तो इसकी अनुमति नहीं मिलती और तो और आपकी पार्टी भाजपा के कई प्रमुख पदाधिकारी इस कार्यक्रम के आयोजन में प्रमुख भूमिका में थे, पुरे समय इस प्रार्थना सभा में मंच पर आसिन थे, क्या वे वहां पर धर्म परिवर्तन होने के बाद घर वापसी कराने के लिये बैठे थे, उनकी निष्ठा इस प्रार्थना के प्रति थी, उन्हें यह लगता था कि यह अच्छा कार्य है और इसमें सहभागी होना चाहिए।
काफी लोग यह कहते हैं कि आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद, बजरंग दल सहित अन्य हिन्दू संगठन लोगों को लड़ाने का कार्य करती है, तो लोग झूठ नहीं कहते। क्योंकि आप तो स्वयं ऐसे बयान और विज्ञपित बांट कर लोगों की भावनाओं को भड़काते हैं कि लोग लड़ाई-झगड़े पर ऊतारू हों, आपकी पुरी विज्ञप्ति यह इशारा करती है कि आप हिन्दू धर्म के लोगों को ईसाई और मुस्लिम धर्म के प्रति भड़काने का कृत्य कर रहे हैं और यह भी सही होता कि प्रशासन को सजगता दिखाते हुए ऐसे विज्ञप्ति के प्रकाशन और वितरण पर रोक लगाना चाहिए जो लोगों को भड़काने का कार्य करे।
आप यदि किसी जरूरत मंद को दो रोटी खिलायेंगे और बिमार को निःशुल्क और बेहतर चिकित्सा उपलब्ध करायेंगे तो फिर उसका कोई धर्म बचता नहीं है, वह आपको ही अपना भगवान और धर्म सबकुछ मानेगा। कभी करके देखिये, चूंकि मैं भी सामाजिक संस्था से जुड़ हुआ हूं, कई बार ऐसे लोग मिलते हैं जिन्हें ब्लड की नितांत आवश्यकता होती है, मैं स्वयं या अपने लोगों से ब्लड दे देता हूं या दिलवा देता हूं, किन्तु इसके बाद उस व्यक्ति और परिवार की स्थिति ऐसी होती है कि जब आप जहां मिल जायें आप उन्हें भले न पहचाने वे आपको पहचान लेंगे। आपसे ऐसा व्यवहार करेंगे जैसे आप भगवान हों। ऐसा कार्य जो भी करेगा उसका सम्मान होगा चाहे वह धर्म हो, जाति हो, व्यक्ति हो या फिर कोई संस्था।
व्यक्ति को हमेशा इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि यदि आप प्यार की भाषा बोलेंगे तो दूसरा भी आपको प्यार के बदले प्यार देगा और आप यदि उल्टी-सीधी अर्नगल बातें करेंगे तो फिर हमेशा कोई सहन कर लें आपकी बातों को यह मुमकिन नहीं।