कुछ बातें जो कह नहीं पाते उनको कहने का समय निकल जाता है तब लगता है की शायद उस समय कह लेते तो अच्छा होता. मगर अब वो बातें बस मन में विचरण करती है. और अपनी अलग दुनिया में मगन रहती है. जो कह नही सके जरूरी था मगर चुप रह गए ये सोचकर फिर कभी फिर कभी फिर न मौका मिला, न मुलाकात हुई, बात मन में जो थी मन में ही रह गयी तुम मिले जो कभी सब समझ जाओगे बोलूंगा कुछ नहीं, सुनूंगा कुछ नहीं.