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तुम क्या जानो

22 अगस्त 2021

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तुम क्या जानो कैसा लगता है,  स्वप्न अधूरे टूटे तो,  


जिनको   अपना मान लिया जब साथ उन्ही का छूटे तो,  


जिसकी एक कल्पना  से ही दिन की  थकन उतर जाये 


उस प्रियतम से प्रेम की माला नाहक ही जब टूटे तो,  


 तुम क्या जानो कैसा लगता है. ... 




तुम समझ नहीं  सकते भावो को 


तुम एक दर्शक   ही तो हो,          


तुममे कोई भाव नहीं है,  


तुम बस आकर्षक ही तो हो,  


तुम क्या जानो बिन शब्द वार्ता करना कैसा  होता है 


कैसा लगता है जब व्याकरण शब्द से  रूठे तो 


तुम क्याजानो. .. तुम क्या जानो 


 अच्छा होगा तुम ना जानो  

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रचनाएँ
अनकहे शब्द
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कुछ बातें जो कह नहीं पाते उनको कहने का समय निकल जाता है तब लगता है की शायद उस समय कह लेते तो अच्छा होता. मगर अब वो बातें बस मन में विचरण करती है. और अपनी अलग दुनिया में मगन रहती है. जो कह नही सके जरूरी था मगर चुप रह गए ये सोचकर फिर कभी फिर कभी फिर न मौका मिला, न मुलाकात हुई, बात मन में जो थी मन में ही रह गयी तुम मिले जो कभी सब समझ जाओगे बोलूंगा कुछ नहीं, सुनूंगा कुछ नहीं.

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