तुम क्या जानो कैसा लगता है, स्वप्न अधूरे टूटे तो,
जिनको अपना मान लिया जब साथ उन्ही का छूटे तो,
जिसकी एक कल्पना से ही दिन की थकन उतर जाये
उस प्रियतम से प्रेम की माला नाहक ही जब टूटे तो,
तुम क्या जानो कैसा लगता है. ...
तुम समझ नहीं सकते भावो को
तुम एक दर्शक ही तो हो,
तुममे कोई भाव नहीं है,
तुम बस आकर्षक ही तो हो,
तुम क्या जानो बिन शब्द वार्ता करना कैसा होता है
कैसा लगता है जब व्याकरण शब्द से रूठे तो
तुम क्याजानो. .. तुम क्या जानो
अच्छा होगा तुम ना जानो