पता नहीं क्यों? अ अपनो की बातें। सुई भी तलवार लगती है, पर, गैरो, की, बातें। तलवार खंजर भी। सुई लगती है। अपनों ने कुछ कहा। तो हम रिश्ता तोड़ देंगे। गैरो ने कहा तो हम रिश्ता जोड़ लेंगे। पता नहीं क्यों लोग, अपनो, से, ज्यादा गैरो, पर, भरोसा करते हैं, जबकि इन सब की, वजह गैर ही होते हैं बस हम ही हैं जो समझ नहीं पाते। कि हम तो बस सिखा दी है, शिकार भी हमारा ही होगा इस दुनिया में।