shabd-logo

आरक्षण नीति

2 जून 2016

108 बार देखा गया 108
 

औरों की भावनाओं को ठेस पहुँचाना मेरी आदत नहीं

मगर जो गलत है उस पर चोट करने की फितरत है ~विष्णु~

टीना दाबी ने टॉप किया ठीक है ,इसमें कोई अचरज की बात नहीं है कि,परीक्षा के किसी चरण में उनसे ज्यादा अंक लाने वालों की संख्या तिहाई में हो ,जो कमियां रहीं होगी वो ट्रेनिंग में चली जाएंगी । पर इस बात पर खुश होना कि, किसी आधार पर पिछड़े हुए का विकास आरक्षण की वजह से हो रहा है कहते हुए टीना से जोड़ना कहीं की होशियारी नहीं हैं। ये वो अन्तिम आदमी नहीं हैं जिसके लिए आरक्षण की बात गांधी और अम्बेडकर ने की होगी जो नीति समाजवाद के आधार पर बनाई गई थी वो पूँजीवाद के इर्द गिर्द नजर आती है। उस समय से अब तक देश की पृष्ठभूमि बदल चुकी अतः जरूरी है इस बार मंथन की। भूत पर रोना इतना जायज भी नहीं वैसे भी दुनिया में Oscar और Nobel सम्मान दोनों को गठियाने वाला इकलौता बंदा George Bernard Shaw इतनी खूबसूरती से कहता है कि,भूत इतिहास है , भविष्य रहस्य है अतः वर्तमान में रहो। मौजूं है कि आरक्षण नीति पर चर्चा होनी चाहिए वर्तमान स्थितियों को ध्यान में रखते हुए।

विष्णु द्विवेदी की अन्य किताबें

आलोक सिन्हा

आलोक सिन्हा

पहले तो बांटा मजहब के नाम पर हमें फिर भाषा प्रांत जाति के आधार पर हमें फिर भी न मन भरा तो ये अब देख रहें हैं आरक्षण से और टुकड़ों में बाँट कर हमें

2 जून 2016

1

आरक्षण नीति

2 जून 2016
0
3
1

  औरों की भावनाओं को ठेस पहुँचाना मेरी आदत नहीं मगर जो गलत है उस पर चोट करने की फितरत है ~विष्णु~ ‪ टीना दाबी ने टॉप किया ठीक है ,इसमें कोई अचरज की बात नहीं है कि,परीक्षा के किसी चरण में उनसे ज्यादा अंक लाने वालों की संख्या तिहाई में हो ,जो कमियां रहीं होगी वो ट्रेनिंग में चली जाएंगी । पर इस बात पर

2

भक्त

5 जून 2016
0
2
1

भक्त बनने की परंपरा हमारे देश में सदियों से है ।पहले भगवान ,यहाँ तक तो ठीक था , फिर संत फिर नेता ,अभिनेता ....सबके। इन भक्तों की अपनी पहचान नहीं होती क्या, इन्हें तो कोई न कोई पूजने को चाहिए कभी कांग्रेस नेता कभी वामपंथी ,कभी भाजपाई नहीं कन्हैया भी चलेंगें हद है ऐसे चोंचलों की।विचारधारा मानने तक बा

3

निलंबन छलावा या न्याय

19 अगस्त 2016
0
0
0

निलंबन से न्याय नहीं हो जाता है इससे बस कुछ लोग अपनी छवि को साफ बरकरार रख लेते हैं माननीय अखिलेश यादव । बुलंदशहर जिसके बारे में मुझे ज्यादा नहीं बस यही पता है कि, उ.प्र. का एक शहर जो राष्ट्रीय राजधानी के पास है,और कई पब्लिकेशन हाउस वगैरा है । पर इस सदी की सबसे वीभत्स घटना यहीं हुई थी कुछ महीने पहले

4

पुरस्कार राशि

24 अगस्त 2016
0
2
0

क्या नायक वही होते हैं जो जंग जीतते है या फिर वो भी नायक है जो जंग लड़ते है ,मुझे तो लगता है प्रत्येक वो व्यक्ति नायक है जो जंग को अप्रत्याषित मोड़ तक ले जाता है । फिर क्यों धन वर्षा सिर्फ जंग जीतने वालों पर हाँ यह लेख पूरी तरह से ओलम्पिक के संदर्भ में हैंं जो जीते हैं वो तो नायक है ही पर जो हारे उनके

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए