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1 किताब
पापा, प्लीज जरा दो किलो आलू और एक किलो प्याज सब्जी मंडी से ला दीजिये।ये बैग और पैसे मैं रखे जा रही हूँ और हाँ पापा 4 पैकेट दूध भी ले आना।हो सके तो मुन्ना के लिये बिस्किट भी डाल लेना।
माँ, तुम ठीक तो हो ना?आज रक्षाबंधन है, पर मेरी तो कोई बहन ही नही है, अब तक हमेशा कलाई सूनी ही रही है माँ, दूसरे लोगो के हाथ मे राखी और बाजार में अपनी बहनों के लिये खरीदते लोगो को देख, मेर
मानसी, क्यों तुम हमेशा मुझे इस प्रकार से जलील करती रहती हो, क्यों तुम्हें मुझसे एलर्जी सी हो गयी है? ये सब तुम्हें लगता है, मेरी जरा सी बात भी तुम्हे चुभती है।असल में तुम मेर
ये क्या बोल रहे हो, बेटा?तुम अमेरिका चले जाओगे तो हम इस उम्र में कैसे जी पायेंगे?यहाँ अपने देश में क्या कमी है, मुझे और तेरी मां दोनों को खूब पेंशन मिलती है, तुम भी कमा ही रहे हो,
अभी पिछले दिनो मैंने जगदीश भाई से वृद्धाश्रम में वीडियो कॉल पर बात की।उनके माथे पर पट्टी बंधी थी।मैंने चौंककर जगदीश भाई से उनको लगी चोट के बारे में पूछा।मैंने उनसे उनके पास आने क
कितना सुख है बंधन में, रजनी गंधा--- कहीं दूर से इस गाने की आवाज आ रही थी।रमेश ने पूरे घर की अकेले सफाई कर ली थी।बिटिया सोनिया का कमरा उसने बड़ी ही तन्मयता से साफ किया,कौन सी चीज सोनिय
देखो रामू काम निबटा कर, ड्राइंग रूम से ये टूटी कुर्सी हटा कर पीछे कर देना, वहां से ये दिखायी नही देगी। ठीक है बाबू सरकार, बस थोडी देर में ही रख दूंगा। रमेश अपने 55 वर्षीय नौकर
अरे नरेंद्र कहाँ चला गया, जल्द आ। मैं कहीं नही गया बापू, मैं यहीं हूँ। जल्दी से केतली में गर्म चाय भर ले, देख ट्रेन आने वाली है, प्लेटफॉर्म पर पहुंच जा।आज तो नाम मात्र की बिक्री ह
अब रजनीश ठीक हो जायेगा ना,फुसफुसाते अर्ध बेहोसी में बार बार रमेश के मुँह से यही शब्द निकल रहे थे। अस्पताल के बिस्तर पर पड़े रमेश को अब धीरे धीरे होश आ रहा था।उसी अवस्था में रमेश क
अचानक आकाशीय बिजली की भीषण गड़गड़ाहट, साथ ही जोर की बरसात और इधर धरती की बिजली गायब, यानि घोर अंधेरा। आजकल घर में आपात काल के लिऐ भी मोमबत्ती शायद ही उपलब्ध होती है, इसलिए अंधेरे में
मैं कहां हूं, यहां मैं कैसे आ गया, बेटा बताओ तो मुझे क्या हुआ है? नाक पर ऑक्सिजन का मास्क , शरीर हिलने डुलने जैसा भी नही, कमर पर ,हाथ पर बेल्ट, सबकुछ असामान्य सा, पर धीरे धीरे